डॉ. रंगनाथन ने पुस्तकालय ज्ञान को सर्वोपयोगी बनाया- प्रो. सक्सेना

डॉ. रंगनाथन ने पुस्तकालय ज्ञान को सर्वोपयोगी बनाया- प्रो. सक्सेना
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भीलवाड़ा। स्थानीय संगम विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी संकाय के तत्वावधान में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ. एस.आर.रंगनाथन की 132 वीं जयन्ती पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विचार गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. करूणेश सक्सेना, विशिष्ठ अतिथि रजिस्ट्रार प्रो. राजीव मेहता एवं मुख्य वक्ता विभागाध्यक्ष डॉ.अनिल शर्मा थे। जबकि अध्यक्षता कला एवं मानविकी विभाग के अधिष्ठाता एवं उप कुलपति प्रो.मानस रंजन पाणिग्रही ने की।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. शर्मा ने डॉ. रंगनाथन का प्रेरक जीवन परिचय एवं उनकी उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी दी। मुख्य अतिथि सक्सेना ने अपने उद्बोधन में बताया कि डॉ. रंगनाथन ने पुस्तकों के ज्ञान को छुपाकर रखने वाली रूढ़िवादी परम्परा से आजाद कर पाठकों को सहज-सुलभ बनाने हेतु पुस्तकालय विज्ञान के पांच सूत्र दिये जिन्होंने आज ओपन एक्सेस के माध्यम से पुस्तकालय को जीवंत बनाकर सर्व उपयोगी बना दिया है।

रजिस्ट्रार मेहता ने पुस्तकालय को शिक्षण संस्थान का हृदय स्थल बताया जहां से संस्थान की सभी शाखाओं को ज्ञान का निरन्तर संचार होता है। प्रो. पाणिग्रही ने बताया कि डॉ. रंगनाथन ने पुस्तकालय विज्ञान विषय को रोजगारोन्मुख विषय के रूप में स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इस विचार गोष्ठी में सह अधिष्ठाता डॉ.जोरावर सिंह राणावत एवं डॉ.हितकरण सिंह राणावत, डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, डॉ रामेश्वर रायकवार, डॉ. संजय कुमार, प्रमिला चौबे, अभिषेक पाराशर, गोपाल भांभी, अनिल सालवी उपस्थित थे।

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