त्योहारों के लिए लहरिए की ख़रीदारी ने जोरो पर
भीलवाड़ा (प्रह्लाद तेली) सावन के महीने में प्रकृति ने हरियाली की चादर ओढ़ ली है और लहरिया परिधान में सजी महिलाएं नजर आ रही हैं। सावन और भाद्रपक्ष के महीने में तीज-त्योहारों की भरमार होती है। इनमें युवतियां व महिलाएं बढ़ चढकऱ हिस्सा लेती हैं। उत्सवों पर अधिकांश महिलाएं लहरिया पहनती हैं। इस लिहाज से सावन माह में शहर में कपड़ें की दुकानों में रौनक देखने को मिल रही है। महिलाएं सावन में लहरिया की खरीद को शुभ मानती है। लहरिया राजस्थानी पोशाकों में खास महत्व रखता है। सावन-भादौं के महीने में अधिकतर महिलाएं लहरिया पहनती हैं। सावन का महीना शुरू होने के साथ ही कपड़ा बाजार में लहरिया साडिय़ों की बिक्री शुरू हो गई है। इन दिनों में लहरिया की बिक्री आम दिनों के मुकाबले दो से तीन गुना अधिक रहती है।
लहरिया बना पहली पसंद
शहर के कपड़ा बाजार में लहरिया की दुकानें सजी हैं। कपड़ा व्यापारियों का कहना है सावन के महीने में लहरिए की ज्यादा बिक्री होती है। इन दिनों दुकानों पर आने वाली महिलाओं की पहली पसंद लहरिया ही है। पूर्व में यहां लहरिया की इतनी बिक्री नहीं थी लेकिन, अब मांग बढऩे लगी है।
सूरत और कोलकाता से आ रहा माल
जयपुर, जोधपुर, कोटा, सूरत, कोलकाता का लहरिया महिलाओं की पहली पसंद बना हुआ है। इस साल कपड़ा बाजार में अच्छी रौनक देखने को मिल रही है। जयपुर के लहरिया की डिमांड सबसे अधिक रहती है। तीज के त्योहार पर सगाई के बाद युवतियों के लिए ससुराल पक्ष की ओर से लहरिया भिजवाने की रस्म भी होती है।