देशभर के संतों को आश्रय देने के कारण रामधाम बना दिव्य तीर्थ - स्वामी चैतन्यानंद

भीलवाड़ा । श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट की ओर से हमीरगढ़ रोड स्थित रामधाम में जारी चातुर्मास प्रवचन में नर्बदा तट खरगोन के स्वामी चैतन्यानन्द गिरी ने कहा कि अध्यात्म रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। दुख और वियोग में ज्ञानी पुरुष वैराग्य, शांति और सुख को ढूंढता है। शरीर का मरण देह धर्म है। जीवन में कभी भी राग द्वेष ना करें। उन्होंने कहा कि विरक्तों की शरणस्थली रामधाम कोई साधारण धाम नहीं बल्कि दिव्य तीर्थ स्वरूप धाम है। इस धाम की विशेषता है कि यहां भारतवर्ष के विरक्त संत विश्राम के लिए ठहर कर श्रद्धालुओं को सानिध्य देते हैं।

देशभर के संतों को आश्रय देने के कारण ही यह दिव्य तीर्थ बन गया है। देश में केवल यह ऐसा धाम है जहां राम रामेश्वरम की प्रतिमा साथ है। ट्रस्ट के प्रवक्ता गोविंद प्रसाद सोडानी ने बताया कि प्रवचन के दौरान कीर्तन गोपाला गोपाला देवकीनंदन गोपाला, नंदलाला नंदलाला यशोमती नंदन नंदलाला से रामधाम गुंजायमान रहा। चातुर्मास के तहत नियमित सुबह 9 बजे से प्रवचन हो रहे है । 26 अगस्त को जन्माष्टमी महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। झूले लगाए जाएंगे। इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। राकेश सिंहल, कन्हैयालाल मुंदड़ा, ओमप्रकाश अग्रवाल, नवरतन पारीक, सुशील शुक्ला, घनश्याम शर्मा, पंडित रमाकांत शर्मा ने संत का माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया। गौ सेवा के तहत गायों को नियमित लापसी खिलाई जा रही है।

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