मोह होना दुख का कारण है - स्वामी चैतन्यानंद
भीलवाड़ा । श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट की ओर से हमीरगढ़ रोड स्थित रामधाम में पिछले 41 दिनों से जारी चातुर्मास प्रवचन में मंगलवार को नर्बदा तट खरगोन के स्वामी चैतन्यानन्द गिरी ने अध्यात्मिक रामायण में सीता हरण क्यों हुआ उसको बताते हुए कहा कि मोह होना दुख का सबसे बड़ा कारण है। भगवती सीता को मोह हु। मृग से आकर्षित होकर वन देवी भी सुरक्षा नहीं कर पाई। रावण ने मोह में आकर सीता का हरण किया और अंत बुरा हुआ। मोह निश्चित रूप से दुख का कारण बनता है। संत श्री ने कहा कि पराई स्त्री की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखना चाहिए स्पर्श भी नहीं करना चाहिए रावण ने हाथ से सीता का हरण करके बहुत बुरा किया। शराब के कारण राम रावण युद्ध हुआ और रावण को अपनी देह त्यागनी पड़ी। सीता ने अपने जीवन में राम की अतिरिक्त किसी पुरुष को नहीं देखा। यही कारण है कि तपस्वी मां भगवती जगत जननी पूजी गई। ट्रस्ट के प्रवक्ता गोविंद प्रसाद सोडानी ने बताया कि प्रवचन के दौरान कीर्तन भज गोविंदम बालमुकुंदम परमानंद हरे हरे से रामधाम गुंजायमान रहा। चातुर्मास के तहत नियमित सुबह 9 बजे से प्रवचन हो रहे है । साप्ताहिक रामायण पाठ का आयोजन चारभुजा नाथ बड़े मंदिर में हुआ। इसमें रामायण पर अंतराक्षरी, कीर्तन, सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ भी हुआ । रामधाम में बाल संस्कार शिविर में करीब तीन दर्जन नोनिहालों ने रामायण के श्लोको का उच्चारण ट्रस्ट सचिव अभिषेक अग्रवाल व संगम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के प्रयासों से किया । जन्माष्टमी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया । झूले लगाए गए । गौशाला में गौ सेवा के तहत गायों को लापसी नियमित रूप से खिलाई जा रही है ।