उत्कृष्टता के लिए विवाह बाधक नहीं, बाद में भी बन सकता है केरियर- स्वामी चैतन्यानंद

उत्कृष्टता के लिए विवाह बाधक नहीं, बाद में भी बन सकता है केरियर- स्वामी चैतन्यानंद
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भीलवाड़ा 28 अगस्त। श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट के सहयोग से भारत विकास परिषद विवेकानंद की ओर से बेटी बसाओ, बेटी पढ़ाओ व बेटी बढ़ाओ प्रोजेक्ट के तहत सेमुमा राजकीय महाविद्यालय में सभ्य सुदृद्ध समाज निर्माण व बालिका स्वावलम्बन को लेकर सेमिनार हुआ। सेमिनार में रामधाम में चातुर्मास के तहत विराजित राष्ट्रीय संत स्वामी चैतन्यानंद गिरी ने कहा की जीवन की उत्कृष्टता के लिए विवाह बाधक नहीं है। विवाह के बाद भी छात्राएं अपना कैरियर बन सकती है। छात्राएं अगर सात्विक रहती है तो वह चंचल होती है और अगर अशांत रहती है तो वह रजोगुण की शिकार है। कोई भी कार्य तत्काल नहीं करना थोड़ी देर बाद या लंबे समय बाद करूंगा यह तमोगुण का लक्षण है।

संत ने कहा कि छात्राओं को आत्मरक्षा के गूर जरूर सीखना चाहिए। समाज में आज बच्चा बहुत जरूरी है। व्यक्ति के अंदर का विद्यार्थी कभी नहीं मरना चाहिए, उसे हमेशा जिज्ञासु रहना चाहिए। शिक्षा ग्रहण करने का स्वभाव बना रहना चाहिए। बुढ़ापे में भी सीखना नहीं छोड़ना चाहिए। हम सब इस जीवन के यात्री है हम बहुत आगे जाना है। विद्यार्थियों को शास्त्रों का अध्ययन कर प्राचीन संस्कृति को बनाए रखना चाहिए।

शाखा अध्यक्ष बालमुकुंद डाड, सचिव गिरीश अग्रवाल ने बताया कि प्रिंसिपल सावन कुमार जांगिड़ सहित महाविद्यालय परिवार ने संत का अभिनंदन कर आशीर्वाद लिया। इस मौके पर व्याख्याता नीलम, अर्चना, प्रतिभा, आशा, शशि, सुनीता, रेखा चावला, सरोज आदि ने भी अपने विचार रखें। समाजसेवी अर्पणा सामसुखा ने भी छात्राओं को संबोधित किया। कार्यक्रम की सभी छात्राओं ने सराहना की।

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