तपस्वियों का अभिनंदन तपस्या से साध्वी कीर्ति लता

तपस्वियों का अभिनंदन तपस्या से साध्वी कीर्ति लता
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भीलवाड़ा ।पर्युषण महापर्व का सातवां दिन ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेक्षा वाहिनी के सदस्यों के मंगलाचरण गीत से हुआ जिसमे साध्वी श्रेष्ठ प्रभा जी ने सबको ध्यान करवाया । दिनांक 8 सितंबर रविवार को संवतसरी महापर्व एवं 9 सितंबर सोमवार को क्षमा याचना दिवस मनाया जाएगा ।

साध्वीजी की विशेष प्रेरणा से अनेकों भाई बहनों ने आठों दिन की विशेष तपस्या की । सभी तपस्वियों का अभिनंदन तेरापंथ सभा द्वारा किया गया ।

साध्वी श्री कीर्तिलता जी ने अपने प्रेरणादाई प्रवचन में कहा पानी की एक बूंद यदि धरती पर गिरती है तो वह मिट्टी में मिल जाती है । केले के पत्ते पर गिरकर कपूर बन जाती है । सर्प के मुंह में गिरकर विस बन जाती है, कमल की पंखुड़ी पर गिरकर ओस बन जाती है सिप के मुंह में समाकर मोती का रूप धारण करती है, समंदर में मिलकर विराट सागर बन जाती है पर देखना यह है हमारी पात्रता कैसी है, जो माटी तक रुक गया वह संसार में भटक गया जो विराट सागर की ओर बढ़ गया वह स्वयं सागर बन गया ।

साध्वी श्री जी ने विशेष प्रेरणा देते हुए कहा समय आ गया है अपनी शक्ति को प्रकट करने का जिनके साथ हमारी अनबन है उसके पास जाकर क्षमा याचना करें खमत खामना करें । मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र कोठारी ने बताया कि सभाध्यक्ष जसराज चोरड़िया ने भामाशाह शौकीन कुमार, निर्मल कुमार रांका का सम्मान किया । आठ दिवसीय उपासक दीक्षा में संयोजक दिलीप मेहता, सह संयोजक बलवंत रांका, दिनेश कांठेड़ सहित सुनील कोठारी, चंद्रप्रकाश सिंघवी, राजेंद्र बुरड़, राजेश खाब्या व मुकेश हिरण का सहयोग रहा । चिकित्सा सेवा एवं कार्य शालाओं में संयोजक गौतम दुगड़ का सहयोग रहा । साध्वी श्री शांति लता जी ने कहा ध्यान चार प्रकार का होता है आर्थ ध्यान से हमें शुक्ल ध्यान तक पहुंचना है । रात्रि कालीन कार्यक्रमों में वाद विवाद प्रतियोगिता का सुंदर कार्यक्रम युवक परिषद के तत्वावधान में आयोजित हुआ जिसमे मुकेश रांका एवं दीपांशु झाबक ने मंगलाचरण गीत का सुमधुर संगान किया ।

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