मिच्छामी दुक्कड़म’ पाप के एकरार का और शुद्धि का मंत्रपद है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। इस दिन सामूदायिक नीवि भी कराई गई। 180 लोगों ने नीवि का तप किया।
महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन में मिच्छा मी दुक्कड़म पद का गहरा विवेचन किया। मिच्छामी दुक्कड़म पद पाप की शुद्धि करने वाला मंत्र पद है और किए हुए पापों का निर्मल मन से एकरार इन में समाया हुआ है। जैन कहीं पर भी जाना, होटलों को पहले नहीं ढूंढता किंतु जिनमंदिर को पहले ढूंढना ऐसा भी बताया।
चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।