धर्म को संसारभर में सभी मंगलो में सर्वोत्कृष्ट मंगल कहा है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

गोगुन्दा श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ महावीर जैन गोशाला उमरणा में रविवार को सभा मे जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि धर्म का सम्बल जीवन मे सबसे बड़ा सम्बल है।धर्म अंदर की शांति ओर साहस का संचार करता है।धर्म की डगर पर चलने वाला कभी लक्ष्य से नही भटकता।धर्म से सदा उत्स की सौगात मिलती है।धर्म सम्पूर्ण जीवन को संतुलित और संयमित बनाता है।धर्म समभाव की प्रतिस्थापना करता है।मुनि ने कहा कि धर्म जीवन का अमृत है।धर्म जीवन जगत का आधार है।धर्म दुर्गति से बचाकर सुमति देता है।संत ने कहा धर्म की महिमा अवर्णिनीय है।जो धर्म से जुड़ा है,उसके मन मे अशुभ ओर अमंगल को स्थान नही है।मुनि ने दुःखी मन से कहा कि आज धर्म के मर्म को बहुत कम लोग जानते है।यही कारण है कि धर्म के नाम पर बाहरी क्रियाकांडो एवं सम्प्रदायवाद का पोषण अधिक हो रहा है।इस पोषण से समस्याए बढ़ रही है।मुनि ने कहा कि सच तो यह है कि समस्याओ का समाधान सदैव धर्म ने ही किया है।धर्म ने कभी समस्याओ को उलझाया नही है।जैन मुनि ने कहा उलझाने का कार्य तो धर्म के नाम पलने वाली विकृतिया और रुग्ण मानसिकता ही करती है।धर्म जीवन को ऊंचाइयां प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण तत्व है।आज साम्प्रदायिक कट्टरताओं के नाम पर जिस तरह से जनमानस ने जहर घोला जा रहा है,घातक है।इस तरह की दुष्प्रवृति नई पीढ़ी प्रबुद्ध वर्ग में धर्म के नाम पर जो अनास्था के बीज अंकुरित कर रहे है,वे वस्तुतः अपराध कर रहे है ऐसे तथाकथित धार्मिक,मानव और मानवता का हित नही कर सकते।मुनि ने कहा कि विषमता विग्रह ,कषाय एवं संकीर्णता में धर्म नही है।जहाँ सत्य है,वहा धर्म का उदय होता है।करुणा के भाव से उसका विकास होता है ।धर्म जैसे विशुद्ध स्वरूप को सम्प्रदायों में विखंडित करने की कुचेष्ठाओं से सारा समाज एक बड़ी दहनीय स्थिति में आ गया है।इसमें निश्चित वाद ने मूल को ही भुला देने का उपक्रम किया है।प्रवीण मुनि ने कहा आज भाई भाई पड़ोसी पड़ोसी को और राष्ट्र अन्य राष्ट्र को शंका की दृष्टि से देख रहे है।एक देश दूसरे देश की उन्नति में बाधाएं खड़ी कर रहा है।हत्या और आतंक के साये में कोई शांति स्थापित नही हो सकती।एक दूसरे पर बल प्रयोग कर यद्ध थोपा जा रहा है।यह सामान्य बात हो गई है।धर्म के प्रति अडिग रहे।असामाजिक तत्वों से सचेत रहे।रितेश मुनि ने कहा नारी क्या है?यह विचारणीय नही है,बल्कि विचारणीय यह है कि नारी क्या नही है।नारी प्रत्येक क्षेत्र में आपके सामने आती है।सददगुणो की चर्चा करे तो वहाँ भी नारी पुरुष से आगे निकल जाती है।नारी की अनगिनत विशेषतायें है।प्रभातमुनि ने कहा जो माया का दम्भ रखता है,वह भटकता ही रहता है।

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