एनजीटी ने जाजू की रिट पर डीएमएफटी फंड के उपयोग की जानकारी मांगी

भीलवाड़ा राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को दिये आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेंट्रल जोनल बेंच भोपाल ने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का नियमानुसार खनन प्रभावित क्षेत्रों में उचित उपयोग नहीं होने के मामले में भीलवाड़ा निवासी पर्यावरणविद बाबूलाल जाजू की अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी के मार्फत दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के सदस्य सचिव को आदेश देते हुए डीएमएफटी फण्ड की प्राप्ति, उपयोग, प्राप्त फण्ड एवं उपयोग की लेखापरीक्षा की निगरानी प्रणाली की सूचना इकट्ठी कर संकलित करते हुए दो सप्ताह मंे न्यायालय मंे प्रस्तुत करने हेतु नोटिस जारी किया है।

जाजू ने बताया कि सरकार की ओर से याचिका मंे प्रस्तुत किये गये जवाब में कहीं पर भी डीएमएफटी फण्ड की प्राप्ति एवं उपयोग को स्पष्ट प्रदर्शित नहीं किये जाने के कारण एनजीटी द्वारा यह आदेश दिये गये हैं। मामले में आगामी सुनवाई दिनांक 21 नवम्बर को होगी। उल्लेखनीय है कि न्यायाधिपति शिवकुमार सिंह एवं विशेषज्ञ सदस्य डॉ अफरोज अहमद की बेंच ने मामले मे मुख्य सचिव राजस्थान सरकार, प्रमुख सचिव मिनरल रिसोर्स डिपार्टमेन्ट जयपुर, सदस्य सचिव राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल जयपुर, निदेशक खान एवं भू विज्ञान विभाग उदयपुर, सचिव स्थानीय स्वशासन विभाग, जयपुर, जिला कलक्टर भीलवाड़ा, सदस्य सचिव राजस्थान डिस्ट्रीक्ट मिनरल फाउण्डेशन फण्ड भीलवाड़ा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। वर्ष 2015 से डीएमएफ योजना के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर 19,000 करोड़ रुपये की बड़ी राशि एकत्र की गई है एवं इसमें से केवल 55 प्रतिशत का ही उपयोग किया गया है, जिससे डीएमएफ फंड की पारदर्शिता और प्रभावी उपयोग के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। जाजू ने आगे बताया कि राजस्थान में 6 हजार करोड़ रुपया एवं भीलवाड़ा में लगभग 1800 करोड़ रुपया डीएमएफटी फंड में जमा है एवं भीलवाड़ा में प्रतिवर्ष लगभग 300 करोड़ रुपया खनन रॉयल्टी से फंड में आता है।


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