राजस्थान में गौवंश हेतु अभ्यारण्य एवं देशी नस्ल की गायों के संवर्द्धन एवं नस्ल सुधार हेतु अनुसंधान केन्द्र स्थापित किये जायें - कोठारी

राजस्थान में गौवंश हेतु अभ्यारण्य एवं देशी नस्ल की गायों के संवर्द्धन एवं नस्ल सुधार हेतु अनुसंधान केन्द्र स्थापित किये जायें - कोठारी
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भीलवाड़ा, विधायक अशोक कुमार कोठारी द्वारा मुख्यमंत्री एवं पशुपालन मंत्री को पत्र लिखकर यह मांग की है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में गाय की देशी नस्ल पाई जाती है जिसमें मुख्यतः थारपारकर, राठी, नागौरी आदि हैं, पर वर्तमान में देशी नस्ल की गायों की संख्या दिन ब दिन कम होती जा रही है। इसकी मुख्य वजह राजस्थान में वृहद स्तर पर देशी नस्ल के संवर्द्वन व नस्ल सुधार का कार्य नहीं किया जाना है। राजस्थान में गौ तस्करी भी बहुत बड़ी समस्या है। माननीय उच्च न्यायालय के गोविन एक्ट के दिशा निर्देशों की पालना किये बगैर पशु मेले की आड़ में गौवंश को कत्लखाने भिजवाया जा रहा है।

सरकार द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर गौ आश्रय स्थल की स्थापना एवं पंचायत समिति स्तर पर नंदीशाला खोलने हेतु राज्य के विभिन्न जिलों में निविदाएँ आमन्त्रित की गई हैं, परंतु अभी भी राज्य के हाईवे, शहरी क्षेत्रों एवं ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर गौमाता बैठी हुई और विचरण करती हुई दिख जाती है, जिसके कारण आये दिन मानवीय दुर्घटना होती रहती है।

देश के अन्य राज्यों जैसे कि मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ में वहाँ की सरकारों द्वारा गौ अभ्यारण्य की स्थापना की गई है तथा इसी संदर्भ में पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय वसुंधरा राजे सिंधिया द्वारा गौ अभ्यारण्य खोलने की घोषणा की थी जिसको वन्य जीव अभयारण्य की तर्ज पर विकसित किया जायेगा और यह पूरी तरह से देशी गौवंश हेतु समर्पित होगा। जिसमें गायों को सेवण घास उपलब्ध कराई जायेगी और अभ्यारण्य के साथ साथ देशी नस्ल सुधार का भी कार्य किया जाये, ताकि देशी गायों के पालन को बढ़ावा मिले। नस्ल सुधार में गुजरात राज्य सरकार द्वारा गिर नस्ल की गायों पर किये गये अनुसंधान का ही परिणाम है कि आज यह देश ही नहीं विदेशों में भी अलग पहचान बनाये हुए है, और ब्राजील में तो इसको राष्ट्रीय गाय की भी संज्ञा दी गई है। पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया द्वारा देशी नस्ल की गायों मुख्यतः थारपारकर, सहीवाल व राठी नस्लों पर विशेष अनुसंधान करने हेतु अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की घोषणा की थी। थारपारकर सम्पूर्ण भारतवर्ष की एकमात्र ऐसी गाय है जो किसी भी तापमान और जलवायु में रह सकती है और इनकी गिनती भारत की श्रेष्ठ दुधारू गायों में की जाती है, परंतु वर्तमान में यह अपना अस्तित्व खोती जा रही है।

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