सिंगोली चारभुजा मन्दिर के मामले में होगा आन्दोलन, महाराष्ट्र के श्रद्धालु भी जुड़ रहे देवस्थान विभाग के विरोध में
आकोला (रमेश चंद्र डाड) मेवाड़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हरि हर धाम सिंगोली चारभुजा के मन्दिर में रखे दानपात्र को बुधवार को खोलने आए देवस्थान विभाग अजमेर के अधिकारियों और कर्मचारियों को क्षेत्र के श्रद्धालुओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। देवस्थान विभाग के अधिकारियों को श्रद्धालुओं ने दानपात्र को नहीं खोलने दिया जिससे उन्हें बिना दानपात्र खोले ही बैरंग वापस लौटना पड़ा।
बुधवार की घटना के बाद से राजस्थान ही नहीं महाराष्ट्र में रहने वाले श्रद्धालुओं ने भी सिंगोली चारभुजा के मन्दिर को देवस्थान विभाग के चंगुल से मुक्त करवाने में अपने सक्रिय सहयोग की घोषणा की । 9 अक्टूबर 2024 को राज्यपाल वागडे से मिल कर देवस्थान विभाग से मुक्त करवाने की मांग की थी।
यह थी पहले व्यवस्था
अधिग्रहण से पूर्व सिंगोली चारभुजा के मन्दिर की व्यवस्थाएं सिंगोली चारभुजा प्रबन्ध महासमिति देखती थी। जिसके अध्यक्ष भंवर लाल जोशी और उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह थे।
अधिग्रहण के बाद देवस्थान विभाग सिंगोली चारभुजा मन्दिर के भेंट पात्र से प्राप्त राशि को अजमेर ले जाने लग गया। पिछले 29 वर्ष 8 माह की अवधि में यहां के भेंट पात्र से प्राप्त लगभग 21 करोड़ रुपए की राशि देव स्थान विभाग ले जा चुका है।
सिंगोली चारभुजा के यहां आयोजित होने वाले वार्षिक फूलडोल महोत्सव , जलझूलनी एकादशी , कृष्ण जन्माष्टमी तथा शरद पूर्णिमा उत्सव के आयोजनों के बजट के लिए भी देवस्थान विभाग के समक्ष गुहार लगानी पड़ती है। देव स्थान विभाग के इस रवय्ये से क्षेत्र की जनता में आक्रोश उत्पन्न होने लगा।
आत्मनिर्भर श्रेणी
सिंगोली चारभुजा के मन्दिर का निर्माण 637 वर्ष पूर्व विक्रम सम्वत 1444 में हुआ था। देवस्थान विभाग के अधिग्रहित आत्मनिर्भर श्रेणी के मन्दिरों से प्राप्त आय को सभी मन्दिरों की व्यवस्था पर खर्च किया जाता है। कई मन्दिर ऐसे भी है जहां आय नही के बराबर होती है उनका संचालन भी आवश्यक होता है। जिन मन्दिरों की आय अच्छी होती है उनकी राशि कम आय वाले मंदिरों के संचालन के काम आती है।
कई बार जताया विरोध
सिंगोली चारभुजा मन्दिर के भेंट पात्र को 14 जून 2019 को खोलने आए देवस्थान विभाग के अधिकारियों के समक्ष क्षेत्र की जनता ने कडा विरोध जताया और भेंट पात्र की राशि वापस भेंट पात्र में डलवाई। तब जनता ने अधिकारियो के समक्ष 13 सूत्रीय मांग पत्र देकर व्यवस्थाओं में सुधार और विकास की मांग की।
इन कार्यों की है अपेक्षा
सिंगोली चारभुजा मन्दिर जीर्णोद्धार, टावर लाइट, विशेष उत्सवों के लिए बजट में वृद्धि, देवस्थान विभाग का विश्रान्ति गृह निर्माण, मुख्य द्वार के समीप संगमरमर फर्श लगाना, मुख्य द्वार से पारीक धर्माशाला तक टीन शेड लगाने, निःशक्त जनों के लिए लिफ्ट लगाने , उद्यान विकास, कियोस्क बनाने, आधुनिक सुविधा के स्नानघर व शौचालय निर्माण आदि कार्य होने चाहिए।
देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त गौरव सोनी ने भी 20 फरवरी 2019 को राशि का चैक ऍफ़ एस एस के कर्मचारी से भीलवाड़ा मंगाया लेकिन जानकारी मिलते ही फूलडोल महोत्सव सुझाव समिति अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक प्रदीप कुमार सिंह ने सोनी को सिंगोली बुलवाया और विरोध प्रकट किया। लम्बी वार्ता के बाद चैक दिया गया।
सिंगोली चारभुजा मन्दिर में 7 जनवरी 2016 को दान पात्र खोलने आए अधिकारियों को भी सिंगोली सरपँच विमला देवी पाराशर के नेतृत्व में विरोध का सामना करना पड़ा तब भी राशि नही ले जाने दी गई थी।
रजत रथ का निर्माण
क्षेत्र के श्रद्धालु अपने स्तर पर भी फूलडोल महोत्सव तथा अन्य आयोजनों के लिए सहयोग करते है। सिंगोली श्याम सेवा संस्थान , सिंगोली श्याम मित्र मण्डल तथा अन्य श्रद्धालुओं ने मिलकर फूलडोल महोत्सव के दिन भगवान के नगर भ्रमण के लिए रजत रथ का निर्माण डेढ़ वर्ष पूर्व करवाया। जिस पर एक करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
इनका कहना
पिछले 29 वर्षों से सिंगोली चारभुजा के मन्दिर की हुई उपेक्षा से विकास के कार्य अवरुद्ध हो गए। क्षेत्र के अन्य धार्मिक स्थलों के मुकाबले यहां का विकास नहीं हो पाया। देवस्थान विभाग सिंगोली चारभुजा मन्दिर के दानपात्र से निकले करोड़ों रुपए ले जा चुका। अब क्षेत्र की जनता यह बर्दाश्त नहीं करेगी।"
- बिन्दु शेठ शर्मा , महामंत्री, भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा महाराष्ट्र
सिंगोली चारभुजा मन्दिर को देवस्थान विभाग से मुक्त करवाने के लिए क्षेत्र की जनता मुख्यमंत्री, राज्यपाल और देवस्थान विभाग के मंत्री को पोस्ट कार्ड लिखने का अभियान चलाएगी। दानपात्र को हम नहीं खोलने देंगे। शान्ति पूर्ण तरीके से आन्दोलन करेंगे।