संस्कृत ही भारतीय संस्कृति का मूल है- महामण्डलेशवर स्वामी हंसराम उदासीन

भीलवाड़ा पेसवानी ! हरीशेवा संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय में हिंदुस्तान स्कउट गाइड के तत्वावधान में संचालित सात दिवसीय ( 18 से 24 नवंबर) आवासीय स्काउट गाइड शिविर में आश्रम के महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन के आशीर्वाद स्वरूप भावी शिक्षकों के लिए संस्कृत श्लोक, स्तुति व मंत्र के वाचन तथा मानव जीवन में उसके महत्व पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन किया गया।आश्रम के संत मयाराम जी की अध्यक्षता व पल्लवी वच्छानी, समन्वयक के विशिष्ठ आतिथ्य में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्कृत वांग्मय से विद्यार्थियों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं।प्राचार्य डॉक्टर रूपा पारीक ने बताया कि वैदिक संस्कृति की सुदृढ़ता, सनातन संस्कृति के महत्व एवं संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।श्री मोहन लाल महरिया, जिला संगठन आयुक्त ने शिविर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मोहन लाल शर्मा ने संस्थान की गतिविधियां व कार्यक्रम से अवगत कराया।संस्कृत आचार्य रामपाल शर्मा व श्रीमती पायल सिंघल ने निर्णायक का कार्य किया।संत मयाराम जी ने पाण्डितय अनुरूप कार्य व वेश-भूषा के साथ भारतीय संस्कृति के महत्व का प्रतिपादन किया।कार्यक्रम संचालन सुश्री निशी डोडवानी एवं मुन्नी शर्मा ने किया।कार्यक्रम में विद्यालय स्टाफ सदस्यों के साथ साथ स्काउट टीम के सदस्य उपस्थित थे। हरीशेवा धाम के संत व सदस्यों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ ।

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