शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा की किताबें नहीं मिलने से विद्यार्थी परेशान
भीलवाड़ा । प्रदेश सरकार से राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ के निरंतर मांग किए जाने पर एवं विद्यार्थियों को शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति सजग बनाने के प्रयास के तहत स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा विषय लागू कर दिया जो खिलाड़ी और विद्यार्थियों के लिए सराहनीय है लेकिन 5 वर्ष से प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में कक्षा 9 एवं 10 के विद्यार्थियों को स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा की पुस्तके ही नहीं मिल रही है ऐसे में विद्यार्थी बिना पुस्तकों के ही यह परीक्षाए देने को मजबूर है ।
वर्तमान में अद्ववार्षिक परीक्षा अभी विद्यार्थियों के सिर पर है उधर नवी व दसवीं में स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा का अध्यापन करवाने वाले शारीरिक शिक्षकों को भी इतनी ही दिक्कत है उनके पास पुस्तके नहीं होने पर वह ऑनलाइन पाठ्यक्रम एवं पठन सामग्री तलाश कर बच्चों को रटवा रहे हैं पूर्व के वर्षों में जिला समान परीक्षा के तहत के स्थानीय शिक्षक ही उनके द्वारा पढ़ाई गैर पाठ्यक्रम के आधार पर विद्यार्थियों की परीक्षा लेते थे।
विभाग की ओर से परिणाम में ग्रेड सिस्टम दिया जाता है अब जल्दी ही अद्ववार्षिक परीक्षा का आयोजन होना है अब राज्य स्तर पर समान परीक्षा व्यवस्था होगी जिस मे विद्यार्थी बिना पाठ्यपुस्तक के प्रश्न पत्र कैसे दे पाएंगे इसे लेकर असमंजस बना हुआ है |
निशुल्क है पाठ्य पुस्तके
शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सरकारी एवं निजी विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा विषय का अध्ययन कर जाने के निर्देश दिए हैं इसके तहत इसमें कक्षा 9 व 10 के लिए हर सप्ताह दो दो कालांश निर्धारित किए गए हैं साथ ही इनकी छमाही एवं वार्षिक परीक्षा भी ली जा रही है
अन्य विषयों के साथ ही स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा की पुस्तके भी राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल से निशुल्क पुस्तके उपलब्ध कराने की प्रावधान तय कर रखे हैं।
मगर प्रदेश में गत 5 वर्षों से सरकारी विद्यालय में पाठ्य पुस्तके पहुंची ही नहीं और नहीं यह बाजार में उपलब्ध है ऐसे में हर वर्ष विद्यार्थी उलझन में रहते हैं कि बिना पाठ्य पुस्तकों के परीक्षा दे तो कैसे दें वही शारीरिक शिक्षक भी पाठ्यक्रम को लेकर असमंजस की स्थिति में रहते हैं।
इनका कहना है -
राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ नारायण लाल गाडरी ने बताया कि शिक्षा विभाग ने दूरगामी धेयय को देखकर इन विषय को जोड़ा है इसके बावजूद पुस्तकों का मुद्रण नहीं होना चिंता का विषय है बिना पुस्तकों के ही परीक्षा भी लेना और विद्यार्थियों ग्रेड देना उचित नहीं है शीघ्र ही पाठ्य पुस्तके कक्षा 3 से 12 तक उपलब्ध करवाई जाए।