अफीम के खेतों में फूलों की बहार
अफीम की फसल सफेद फूलों से ढंकी हुई है। इन दिनों दूर से ही अफीम के खेत काफी आकर्षक लग रहे हैं। अभी धूप में तेजी होने से यह फसल पूरे यौवन पर है। अफीम की फसल अति संवेदनशील होती हैं। काला सोना कही जाने वाली इस फसल को किसान कड़ी मेहनत से तैयार करते हैं। अफ़ीम फसल की सुरक्षा को लेकर किसान निगरानी में जुटे हुए हैं। अफीम की फसल पर फूल और डोडा आने के बाद लुवाई का काम शुरू होता है। राधे सुथार ने बताया कि लुवाई के समय किसानों को खतरा बढ़ जाता है। फसल को मवेशियों और प्राकृतिक प्रकोप से भी खतरा कम नहीं होता है।
फसल सुरक्षा को लेकर कई जतन -
काश्तकार खेतों में मवेशियों, विशेषकर नीलगाय से फसल की सुरक्षा के लिए तारबंदी और लोहे की जाली लगाते हैं। डोडो को तोतों से बचाने के लिए सफेद जालियां लगाते हैं। इधर, पौधों को झुकने या गिरने से बचाने के लिए बांधने होते हैं। अफीम खेत के चारों तरफ मक्का बाेते हैं या मेटिंग लगाते हैं ताकि शीतलहर और पाले के असर से बचा सकें।
झाेंपड़ियां ही हैं इनका आशियाना -
काश्तकार फसल की सुरक्षा में हर समय खेताें पर रहने लगे हैं। अफीम काश्तकारों ने खेतों पर झोपडिय़ां बना ली हैं। अब ये झाेंपड़ियां ही इनका आशियाना हैं।