रुद्राष्टाध्यायी की दी आहुतियां

भगवानपुरा (कैलाश शर्मा ) बावड़ी वाले बालाजी के स्थान पर चल रहे नवकुण्डीय रुद्र महायज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार को देवताओ की पूजा अर्चना कर मूर्तियो का शर्करादिवास कराया गया वही हवन में महामृत्युंजय , गायत्री मंत्र एवं रुद्राष्टाध्यायी की आहुतियां दी गई । साथ ही श्रीमद् भागवत् कथा के दौरान विदुर प्रसंग सुनाया जिसमें घर पर विदुर जी नही होने के बाद भी विदुराईन द्वारा भक्ति भाव से ओतप्रो होकर भगवान को केले के छिलके खिला कर गुदे को फेकती जा रही थी इसी के साथ आचार्य पं सुरेशानंद शास्त्री ने * आये आये जी घनश्याम विदुर घर पावणा जी , विदुर जी नही थे थी विदुरानी , आवत देख्या सारंग पानी , क्या जिमावणा जी जेसे भजन प्रस्तुत कर बड़े बुढे जवान सभी नर - नारी को भक्ति भाव का माहोल करके नाचने को मजबुर कर दिया । कथा के दौरान ध्रुव प्रसंग व भक्त प्रहलाद व नृसिंह अवतार का दृष्टान्त सजीव झांकियों के साथ प्रस्तुत किया । कथा के अन्त मे भक्तो द्वारा 151 किलो खीर का प्रसाद वितरण किया गया ।