’जय दुर्गा दुर्गती परिहारी’’ दुर्गा स्तुति में रक्त बीज के वध की जीवन्त प्रस्तुति

’जय दुर्गा दुर्गती परिहारी’’ दुर्गा स्तुति में रक्त बीज के वध की जीवन्त प्रस्तुति
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भीलवाड़ा BHNस्पिक मैके (सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इण्डियन क्लासिकल म्यूजिक एण्ड कल्चरल एमगंस्ट यूथ) एवं जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग के सहयोग से चल रहे विरासत-25 के तहत आज विश्व प्रसिद्ध कुचीपुड़ी नृत्यांगना आयना मुखर्जी की प्रथम प्रस्तुति 8 बजे स्वामी विवेकानन्द मॉडल स्कूल आसीन्द एवं द्वितीय प्रस्तुति 11 बजे बागौर में हुई।

जानकारी देते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कैलाश पालिया ने बताया कि आयना मुखर्जी ने कार्यक्रम की शुरूआत में कुचीपुड़ी नृत्य के इतिहास को बताते हुये कहा कि पुराने समय में यह कला नाटक के रूप में थी, बाद मंे इसे नृत्य के रूप में ग्रहण किया गया। इस नृत्य में एकल प्रस्तुति ही होती है। प्रारंभ में मां दुर्गा की स्तुति ’’जय दुर्गे दुर्गति परिहारी’’ में माँ द्वारा ’रक्तबीज’ एवं दुर्गा द्वारा महिषासुर वध चामुण्डा की सुन्दर प्रस्तुति दी। उसके बाद मीरा बाई का प्रसिद्ध भजन ’’बरसे बदरिया सावन की, मन भावन की’’, में मीरा की कृष्ण स्तुति की सुन्दर प्रस्तुति से छात्र-छात्राओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।अंत में कुचीपुड़ी में ’’तरंगम’’ थाली पर होने वाले नृत्य की प्रस्तुति ने सभी दर्शकों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया।

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