शैक्षणिक संस्थानों को तंबाकू और नशीले पदार्थों से मुक्त बनाने के लिए चलेगा राष्ट्रव्यापी अभियान

केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में हुई इस उच्च स्तरीय बैठक में युवाओं को नशीले पदार्थों से बचाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए शिक्षा तथा कानून प्रवर्तन विभागों के बीच समन्वित अभियान चलाने की बात कही गयी. इसे देखते हुए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने सभी राज्यों को नशे के खिलाफ कदम उठाने का निर्देश जारी किया है.

नशे के खिलाफ अभियान क्यों है जरूरी

भारत दुनिया की सबसे युवा जनसंख्या वाले देशों में से एक है. भारत में अधिकांश नागरिक 29 साल से कम आयु के हैं. युवा देश के भविष्य के लिए एक शक्तिशाली ताकत का प्रतिनिधित्व करते हैं. विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में युवाओं की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. कई अध्ययन से पता चलता है कि युवाओं में तंबाकू का सेवन तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण स्कूल, कॉलेज परिसर में अन्य प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे 2019 के अनुसार 13 से 15 वर्ष की आयु के 8.5 फीसदी छात्र किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे थे. सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि भारत में हर रोज 5500 से अधिक बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं.

कई युवा मौजूदा कानूनों के बावजूद स्कूलों के पास की दुकानों से आसानी से इन उत्पादों को खरीदते हैं. शिक्षा मंत्रालय इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान दिशा-निर्देशों को लागू कर रहा है. यह स्कूलों और कॉलेजों को तंबाकू के उपयोग और बिक्री से पूरी तरह मुक्त बनाने के लिए है. इसके लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर 31 मई से 26 जून तक नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 की धारा 6 (बी) को लागू करने के लिए एक महीने का अभियान चलाया जायेगा. इस अभियान में स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी), शिक्षकों और अभिभावकों को भी शामिल करने के साथ सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगीशैक्षणिक संस्थानों को तंबाकू और नशीले पदार्थों से मुक्त बनाने के लिए चलेगा राष्ट्रव्यापी अभियान

Next Story