राम कथा राम चरित्र का एक सरोवर- गौवत्य सत्यनारायण महाराज

आसींद :- क्षेत्र के सुलवाड़ा में राम कथा का आयोजन सम्पन्न हुआ | 51 कलशों सहित भगवान की शोभायात्रा बड़े ही धूमधाम से बेण्ड बाजों पर निकाली गई | भक्त लोग भजनों की धुन पर नाचते हुए भगवान को कथा स्थल पर विराजमान किया | राम कथा के प्रथम दिवस में राष्ट्रीय प्रवक्ता सत्यनारायण महाराज ने बताया कि राम कथा तो एक ऐसा गहन सरोवर जिसका एक एक बिन्दु भी हम ग्रहण नहीं कर पाते हैं| हमें हमेशा बुरे कर्मों से बचना चाहिए| कर्मफल हमें उसी प्रकार ढूँढ़ लेते हैं जिस प्रकार कि हजार गायों में बछड़ा अपनी मां को पहचान ले ता है| हमें अपने कर्मो का फल अवश्य ही मिलता है| कथा में आज मंगलाचरण पर प्रकाश डाला| प्रथम श्लोक में ही सम्पूर्ण रामायण के सात ही काण्डों का समावेश बताया| संत समाज को प्रयागराज के समान बताया है| सतसंग से पापी से पापी भी वाल्मीकि जैसे पूजनीय बन जाते हैं | तुलसीदास जी ने दुष्ट लोगों को भी नमन करने की सलाह दी है, क्योंकि विघ्न न डालने पर ही सत्कर्म सम्पन्न हो सकते हैं| संत और असंत दोनों ही दुखदायी होते हैं, अन्तर केवल इतना ही है कि संत जब मिलकर बिछड़ते हैं तब दुख देते हैं और असंत मिलने पर दु:ख देते हैं| प्रेम के तीन प्रकार बताये | प्रेम अयोध्यावासियों का राम के प्रति था, सत्य प्रेम राम से दशरथ का था और गूढ़ प्रेम राजा जनक का राम से था जो कि अप्रकट था| भारद्वाज मुनि संतों से राम कथा सुनाने के लिए कहते हैं| इस प्रकार राम कथा का शुभारम्भ होता है | क्षेत्र के कई भक्तों ने कथा का श्रवण किया |