विशेष बाल संस्कार शिविर में खेलों के माध्यम से सिखाई गई छापामार युद्ध पद्धति

भीलवाड़ा । भारत विकास परिषद शाखा विवेकानंद द्वारा आदर्श विद्या मंदिर घुमंतू छात्रावास में आयोजित विशेष बाल संस्कार शिविर के दूसरे दिन बच्चों को खेलों के माध्यम से छापामार युद्ध कौशल की कला सिखाई गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विशेष प्रशिक्षित कार्यकर्ता अजय अग्रवाल ने महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज की युद्ध रणनीतियों को रोचक खेलों द्वारा प्रस्तुत करते हुए बच्चों को उनके अद्भुत युद्ध कौशल से परिचित कराया।
उन्होंने बताया कि आज भी भारत द्वारा किए गए सिन्दूर ऑपरेशन से लेकर यूक्रेन-रूस युद्ध तक में यही छापामार पद्धति नए रूप में, ड्रोन तकनीक के साथ प्रयोग हो रही है। यह प्रशिक्षण बच्चों में आत्मरक्षा, सूझबूझ और राष्ट्र सुरक्षा के प्रति समझ विकसित करता है।
शिविर संयोजक भेरूलाल अजमेरा ने जानकारी दी कि शिविर में आज 27 नए पंजीयन हुए, जिससे कुल संख्या 90 हो गई, जिनमेंसे 81 बालकों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम में प्रो. डॉ. कश्मीर भट्ट ने गुरुकुल परंपरा के आदर्श पात्र आरुणि की कथा सुनाकर बच्चों को बड़ों की बात मानने और कर्तव्यनिष्ठ बनने के लिए प्रेरित किया।
"देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें"—इस प्रेरणादायक गीत की प्रस्तुति मधुबाला यादव ने करवाई। उन्होंने गीत के माध्यम से बच्चों को पर्यावरण, देश सेवा, राष्ट्रभक्ति, और सहायता भाव जैसे मूल्यों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी। यह गीत शिविर गीत है तथा इसे बच्चों को कंठस्थ कराया जा रहा है।
शिविर में चयनित बच्चों द्वारा इस गीत की सुंदर प्रस्तुति दी गई, जिसे उपस्थितजनों ने सराहा।
शिविर का शुभारंभ शाखा की बाल संस्कार संयोजिका गायत्री आचार्य द्वारा प्रार्थना "हे भगवान, हे भगवान, तुमसे माँगे यह वरदान" से हुआ, जिसमें ईश्वर से संस्कारमय जीवन की कामना की गई।
बालकृष्ण पारीक ने गायत्री मंत्र पर विस्तार से चर्चा करते हुए उसके वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व को सरल भाषा में समझाया।
शिविर सह संयोजक रजनीकांत आचार्य ने बच्चों से दैनिक दिनचर्या और सु-संस्कारित जीवनशैली पर संवाद करते हुए उन्हें जीवन में अनुशासन व समयबद्धता के महत्व को बताया।
शिविर में भाग ले रहे बालक-बालिकाओं में राष्ट्रभक्ति का उत्साह, सजे हुए परिसर, और राष्ट्रभक्ति गूंजते नारों से संपूर्ण वातावरण देशभक्ति से ओतप्रोत हो उठा।
यह शिविर न केवल बच्चों को शारीरिक रूप से सजग बना रहा है, बल्कि उन्हें मानसिक और नैतिक रूप से भी समृद्ध कर रहा है।