जनजातीय किसान मुर्गीपालन को बनाये रोजगार का जरिया - डॉ. यादव

जनजातीय किसान मुर्गीपालन को बनाये रोजगार का जरिया - डॉ. यादव
X

भीलवाड़ा। कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा द्वारा अनुसूचित जनजाति योजनान्तर्गत उन्नत मुर्गीपालन विषय पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण एवं आदान वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने जनजातीय किसानों को स्वरोजगार हेतु उन्नत मुर्गीपालन करने पर जोर दिया। डॉ. यादव ने महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा विकसित प्रतापधन मुर्गी की विशेषताएँ बताते हुए जिले में मुर्गीपालन की उपयोगिता, भविष्य, समस्या समाधान के साथ-साथ जैविक मुर्गीपालन, आवास व्यवस्था, मुर्गियों की आयु के अनुसार आहार व्यवस्था एवं मुर्गियों मे होने वाले प्रमुख रोग जैसे रानीखेत, गंभोरो आदि के लक्षण व उपचार तकनीकी को विस्तारपूर्वक समझाया। डॉ. यादव ने मुर्गियों में टीकाकरण, अण्डों से चूजे निकालना, अण्डों के रख-रखाव एवं भण्ड़ारण की तकनीकी के साथ ही व्यावसायिक मुर्गीपालन हेतु इन्क्यूबेटर का प्रबन्धन, हेचिंग के लिए अण्डों का चयन, ब्रूडर प्रबन्धन, लेयर मुर्गियों का आवास, आहार एवं स्वास्थ्य प्रबन्धन, केज प्रणाली की संरचना एवं प्रबन्धन, अण्डे की आन्तरिक संरचना तथा चोंच काटने की प्रक्रिया बताई। तकनीकी सहायक अनिता यादव ने जनजातीय क्षेत्र में मुर्गी पालकों एवं महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार कर आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए मुर्गीपालन का अहम योगदान बताया। वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता संजय बिश्नोई ने बरसात के मौसम मे मुर्गियों का रख-रखाव, कम लागत में मुर्गीपालन इकाई की स्थापना तथा मुर्गियों की वीट की खाद के रूप में गुणवत्ता बताई। कार्यक्रम में माण्ड़लगढ़ पंचायत समिति के गाँव कुण्ड़ालिया एवं दोल जी का खेड़ा के 35 मुर्गीपालकों को प्रति मुर्गीपालक 20-20 चूजे निःशुल्क उपलब्ध करवाये गये।

Tags

Next Story