डायरिया रोकथाम को लेकर जिले की आशाएं बहने निभा रही विशेष रोल

भीलवाड़ा। डायरिया की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में चलाए जा रहे ‘स्टॉप डायरिया अभियान’ के तहत जिले की आशा कार्यकर्ता न केवल घर-घर जाकर ओआरएस पैकेट और जिंक की गोलियां वितरित कर रही हैं, बल्कि डायरिया रोकथाम कार्यक्रम में विशेष रोल निभाकर आमजन को स्वच्छता और हाथ धोने की आदतों के प्रति भी जागरूक कर रही हैं। यह अभियान 1 जुलाई से 15 अगस्त तक संचालित किया जा रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सी. पी. गोस्वामी ने बताया कि जिला कलक्टर श्री जसमीत संधू के मार्गदर्शन में पूरे जिले में दस्त रोकथाम अभियान प्रभावी रूप से संचालित किया जा रहा है। आशा सहयोगिनियां हर गांव, ढाणी और वार्ड में पहुंचकर ओआरएस और जिंक का निःशुल्क वितरण कर रही हैं। साथ ही स्वच्छता, हाथ धोने की विधि, साफ पानी के उपयोग और पोषणयुक्त आहार के प्रति लोगों को शिक्षित कर रही है।
सीएमएचओ डॉ. गोस्वामी ने बताया कि गर्मी व बरसात के मौसम में डायरिया के मामले तेजी से बढ़ते हैं। ऐसे में यह अभियान बच्चों की जान बचाने में एक प्रभावशाली कदम है। आशाओं को पूर्व में विशेष प्रशिक्षण देकर तैयार किया गया है, ताकि वे न केवल दवा वितरण करें बल्कि घरों में जाकर व्यवहार में बदलाव ला सकें।
स्कूलों व सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता का हो रहा प्रसार
एसीएमएचओ डॉ. रामकेश गुर्जर ने बताया कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ओआरएस-जिंक कॉर्नर स्थापित किए गए हैं। यहां आमजन को ओआरएस घोल बनाने की विधि और सही तरीके से हाथ धोने का प्रदर्शन कर समझाया जा रहा है।
आशा सहयोगिनियां स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर भी ओआरएस बनाने की प्रक्रिया और हाथ धोने की विधि का डेमो देकर बच्चों व आमजन को साफ-सफाई के प्रति प्रेरित कर रही हैं। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में करीब 4.1 प्रतिशत मौतें डायरिया के कारण होती हैं, जिन्हें रोका जा सकता है।
अभियान के तहत स्वास्थ्य संस्थाओं पर आने वाले मरीजों व परिजनों को भी डायरिया के लक्षण, बचाव और उपचार के प्रति जागरूक किया जा रहा है।