टायर और चादर के सहारे हुआ अंतिम संस्कार

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भीलवाड़ा । जिले की बनेड़ा पंचायत समिति के माताजी का खेड़ा (भटेड़ा) गांव से एक हृदय विदारक तस्वीर सामने आई है, जो विकास के दावों की पोल खोलती है। बुधवार को 80 वर्षीय चुन्नी दास वैष्णव के निधन के बाद, उनके परिजन और ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पहुंचे। यहां कोई भी बुनियादी सुविधा न होने के कारण ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। बारिश के चलते ग्रामीणों को न केवल टायरों का सहारा लेकर शव जलाना पड़ा, बल्कि चिता को बारिश से बचाने के लिए लोहे के पाइप के सहारे चादर पकड़कर लगभग 3 घंटे तक खड़े रहना पड़ा।

यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव को उजागर करती है। माता जी का खेड़ा (भटेड़ा) में श्मशान घाट की बदहाली ऐसी थी कि एक बुजुर्ग का अंतिम संस्कार भी सम्मानजनक तरीके से करना मुश्किल हो गया। श्‍मशान घाट पर अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले लोगों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था भी नहीं है, जिसके चलते बारिश में लोग छातों के सहारे खड़े रहकर अंतिम संस्कार किया। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी श्मशान घाट में मूलभूत सुविधाएं या तो नदारद हैं या बेहद खराब स्थिति में हैं।

रास्ते में भी कीचड़, टीनशेड भी नहीं...

nमाता जी का खेड़ा (भटेड़ा) गांव से श्मशान घाट तक पहुंचने के लिए रास्ते में कीचड़ और बरसाती पानी से होकर गुजरना पड़ता है। बारिश के समय अंतिम संस्कार की सबसे बड़ी परेशानी आती है। श्मशान घाट में टीनशेड नहीं होने के चलते स्थानीय प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों में रोष है।

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