‘लाखों लाशों पर चढ़कर आई थी आजादी’

‘लाखों लाशों पर चढ़कर आई थी आजादी’
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भीलवाड़ा। जिला साहित्यकार परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी सिन्धुनगर स्थित अमर शहीद हेमू कालानी भवन में आयोजित हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता दयाराम मेठानी ने की, जबकि संचालन श्यामसुन्दर तिवारी ने किया।

गोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। इसके बाद कवियों ने स्वतंत्रता दिवस, जन्माष्टमी एवं देश के हालात जैसे विषयों पर काव्य पाठ प्रस्तुत किए।

काव्य गोष्ठी में बंशीलाल पारस ने ‘उड़ों तिरंगे आज विश्व को भारत का संदेश सुना दो’, ओम उज्ज्वल ने ‘बरसात का मौसम कई सपने दिखाता है’, देवीलाल दुलारा ने ‘आजादी देश की बचाने के लिए मातृभूमि को सपूत चाहिए’, राजेश मित्तल ने ‘सम्मान अपना खुद कभी खोना नहीं’, नरेन्द्र वर्मा ने ‘किशन कन्हाई तेरा जन्मदिन मना रहे हैं’, दिनेश दीवाना ने ‘कान्हा दे दो वस्त्र हमारे, काहे वस्त्र चुराते हो’, श्यामसुन्दर तिवारी ने ‘मात देवकी जायो, रात अंधेरी आयो’ और दयाराम मेठानी ने ‘लाखों लाशों पर चढ़कर आई थी आजादी, इसलिए खूनी प्यास का अन्त हुआ नहीं’ जैसी भावपूर्ण रचनाएं सुनाकर वाहवाही लूटी।

गोष्ठी में रतनकुमार चटुल, अभिलाषा जोशी, गायत्री सरगम, शिखा बाहेती, गोपाल शर्मा और अजीज जख्मी ने भी अपनी रचनाओं से वातावरण को काव्यमय बना दिया और श्रोताओं की भरपूर तालियां बटोरीं।

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