भीलवाड़ा में गहलोत का हमला, चिकित्सा से लेकर काले पानी तक उठाए मुद्दे
भीलवाड़ा (हलचल)। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को भीलवाड़ा दौरे के दौरान कई स्थानीय और प्रदेशस्तरीय मुद्दों को उठाते हुए राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने चिकित्सा सेवाओं की कमी, उद्योगों से निकलने वाले जहरीले पानी की समस्या, आवारा पशुओं की परेशानी और परिसीमन में हो रहे भेदभाव जैसे विषयों पर अपनी नाराजगी जताई।
चिकित्सा सेवाओं में लापरवाही पर सवाल
गहलोत ने पत्रकार वार्ता में कहा कि भीलवाड़ा जैसे बड़े शहर में कैथ लैब का न होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अगर पहले इसकी मांग उठाई जाती तो उनकी सरकार के समय ही यह सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती थी। गहलोत ने बताया कि आज इस सुविधा के अभाव में कई मरीजों की जान चली जाती है। उन्होंने वादा किया कि इस मुद्दे को राज्य सरकार के सामने मजबूती से उठाया जाएगा। साथ ही कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति और चिकित्सा सामग्री की सप्लाई में आ रही बाधाओं पर भी उन्होंने चिंता जताई।
उद्योगों के काले पानी से तबाही
पूर्व मुख्यमंत्री ने भीलवाड़ा, पाली, बालोतरा और जोधपुर के औद्योगिक इलाकों से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी को गंभीर समस्या बताया। उन्होंने कहा कि इस काले पानी ने किसानों की जमीनें बर्बाद कर दी हैं और पशुओं को भी नुकसान पहुंचा रहा है। गहलोत ने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रही है और लगातार लापरवाही बरती जा रही है।
आवारा पशुओं और बुनियादी ढांचे की समस्या
गहलोत ने भीलवाड़ा शहर की सड़कों पर खुलेआम घूमते आवारा पशुओं के मुद्दे पर भी आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ ट्रैफिक व्यवस्था को बिगाड़ता है बल्कि दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ाता है। उन्होंने एलिवेटेड रोड और सीवरेज प्रोजेक्ट का भी जिक्र किया और कहा कि इनमें सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि अधूरे प्रोजेक्ट जनता को राहत देने के बजाय परेशानी पैदा कर रहे हैं।
परिसीमन पर चेतावनी
गहलोत ने प्रशासन और नेताओं को चेतावनी दी कि परिसीमन के दौरान यदि भेदभाव किया गया तो इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में जनता को साथ लेकर ही निर्णय होने चाहिए ताकि विकास का रास्ता साफ हो सके। चाहे नगर निकाय हो या पंचायत, निष्पक्षता से परिसीमन होना चाहिए।
किसानों के आंदोलन का समर्थन
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव धीरज गुर्जर द्वारा किसानों के मुआवजे, गिरदावरी और परिसीमन को लेकर चलाए गए आंदोलन का गहलोत ने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं पर सरकार गंभीर नहीं है और उनकी मांगें पूरी तरह जायज हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने किसानों की आवाज को नजरअंदाज किया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
