विश्व रेबीज सप्ताह के दौरान आशा-एएनएम फैला रही गांव-गांव जागरूकता

भीलवाड़ा। जिले में रेबीज उन्मूलन के उद्देश्य से 4 अक्टूबर तक मनाए जा रहे विश्व रेबीज सप्ताह के तहत जिलेभर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता और उपचार संबंधी विशेष गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव कुमार शर्मा के अनुसार रेबीज जैसी घातक बीमारी, जो संक्रमित कुत्तों के काटने से फैलती है और समय पर उपचार न मिलने पर जानलेवा साबित होती है। विश्व रेबीज सप्ताह 28 सितम्बर से 4 अक्टूबर के दौरान ग्राम स्तर पर आशा सहयोगिनियों और एएनएम ने लोगों को रेबीज संक्रमण से बचाव के उपाय बताए। साथ ही आशाओं व एएनएम ने आईईसी सामग्री और सोशल मीडिया के माध्यम से भी रेबीज उन्मूलन के संदेश को व्यापक जनसमूह तक पहुँचाया। जागरूकता के तहत नारे लेखन, पोस्टर प्रदर्शन, जनसभा में संवाद और घर-घर संपर्क अभियान आयोजित किए गए। फील्ड स्तर पर नारा लेखन गतिविधियों के माध्यम से भी लोगों को रेबीज रोकथाम के प्रति संवेदनशील किया जा रहा है।

अति सीएमएचओ डॉ. रामकेश गुर्जर ने बताया कि रेबीज, एक वायरल संक्रमण है, जो मनुष्य और जानवरों में हमेशा से घातक होता है। यह जानलेवा बीमारी संक्रमित जानवरों के काटने से होती है एवं बीमारी से बचना पूरी तरह संभव है। जिले के सभी राजकीय चिकित्सा केंद्रों पर रेबीज का निशुल्क उपचार उपलब्ध है।

बचाव हेतु क्या करें-

घाव को तत्काल साबुन और बहते पानी से अच्छी तरह धोएं।

एंटीसेप्टिक लगाएं।

तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें या इलाज के लिए अस्पताल जाएं।

डॉक्टर की सलाह के अनुसार एंटी-रेबीज टीकाकरण कोर्स अवश्य पूरा करें।

पालतू कुत्ते को एंटी-रेबीज के टीके लगवाएं।

बचाव हेतु क्या न करें-

जानवरों द्वारा मारे गए पंजे के घाव को नजरअंदाज न करें।

झाड़-फूंक या घरेलू उपचार पर समय न गवाएं।

घाव पर नमक, मिर्च या तेल का उपयोग न करें।

घाव की तुरंत सफाई में लापरवाही न बरतें।

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