सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री जाट के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया, कहा – आपराधिक अदालत अपने ही फैसले की समीक्षा नहीं कर सकती

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा पूर्व राजस्व मंत्री रामलाल जाट और अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की सीबीआई जांच के आदेश को रद्द कर दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोई भी आपराधिक अदालत अपने ही आदेश की समीक्षा या वापसी नहीं कर सकती।
गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने कुछ महीने पहले पूर्व मंत्री रामलाल जाट और अन्य के खिलाफ दर्ज शिकायतों की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। बाद में राज्य सरकार और अन्य पक्षों ने इस आदेश को चुनौती दी थी। इसी दौरान हाईकोर्ट ने अपने पुराने आदेश को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
🔹 सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और संजय करोल की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा —
> “एक बार जब कोई आपराधिक अदालत अपना फैसला सुना देती है, तो वह स्वयं उस पर दोबारा विचार या बदलाव नहीं कर सकती।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया —
> “अगर किसी शिकायतकर्ता की याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है, तो वह उसी मांग के साथ दोबारा याचिका दाखिल नहीं कर सकता। यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग माना जाएगा।”
🔹 सुप्रीम कोर्ट का आदेश
अदालत ने कहा कि आपराधिक मामलों में केवल लिपिकीय त्रुटियों (clerical errors) को ही सुधारा जा सकता है, न कि किसी आदेश को बदला या वापस लिया जा सकता है।
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश रद्द करते हुए सीबीआई जांच के निर्देश निरस्त कर दिए।
यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया की मर्यादा और सीमाओं को लेकर एक महत्वपूर्ण नजीर (landmark judgment) माना जा रहा है।
