सांपला में विश्व का एकमात्र गाय मेला, दीपावली के दूसरे दिन भरता है अनूठा आयोजन

सांपला में विश्व का एकमात्र गाय मेला, दीपावली के दूसरे दिन भरता है अनूठा आयोजन
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फूलियाकलां (राजेश शर्मा)।

द्वारकाधीश की पावन तीर्थ नगरी सांपला में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव के अवसर पर बुधवार, 22 अक्टूबर को विश्व प्रसिद्ध गाय मेला आयोजित होगा। यह मेला अपनी अनूठी परंपरा और धार्मिक आस्था के लिए जाना जाता है।

मंदिर परिसर में भगवान द्वारकाधीश गोपालजी महाराज के विमान के नीचे से भाग्यशाली गाय का गुजरना शुभ माना जाता है। गाय दौड़ते हुए ठीकरा लेकर भगवान के विमान के नीचे से मंदिर में प्रवेश करती है। माना जाता है कि यह दृश्य भगवान की प्रसन्नता और आशीर्वाद का प्रतीक है।

📜 किवदंती और ऐतिहासिक महत्व

किंवदंतियों के अनुसार, सांपला स्थित गोपालजी महाराज का मंदिर अत्यंत प्राचीन है। यहां भक्त दामोदरदासजी ने कठोर तपस्या कर हाथों में तुलसी उगाई और नंगे पांव द्वारका पहुंचे। वहाँ भगवान द्वारकाधीश ने उन्हें दर्शन देकर बैलों के झुंड में कांवड़िया बैल की पीठ पर सवार होकर सांपला आने का वचन दिया।

वचन के अनुसार संवत 1474, मंगसर बदी नवमी के दिन भगवान गोपालजी महाराज सांपला (तत्कालीन बृजभानपुरी) पधारे।

🐄 गाय न आने पर दंड की परंपरा

मेला के दौरान कभी-कभी कोई गाय भगवान के विमान के नीचे से नहीं गुजरती। इसे भगवान की सेवा में कमी माना जाता है। ऐसे में पुजारी और कुछ ग्रामीण भक्त दामोदरदासजी की तपोस्थली पर जाकर क्षमा याचना करते हैं।

यदि इसके बाद गाय विमान के नीचे से गुजर जाती है, तो दंडस्वरूप चांदी का सवा रुपया अर्पित किया जाता है।

📍सांपला का प्राचीन नाम ‘बृजभानपुरी’

अजमेर जिले की सरवाड़ व केकड़ी से लगभग 18 किमी दूर फूलियाकलां-भीलवाड़ा रोड पर स्थित सांपला का प्राचीन नाम बृजभानपुरी था।

यहाँ भरने वाले इस अनूठे गाय मेले में राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं।

🌸 आयोजन की झलकियाँ

भगवान की प्रतिमा को मेला मैदान स्थित कीर्ति स्तंभ के पास विमान में विराजमान किया जाता है।

भक्तजन भजनों की प्रस्तुतियाँ देते हैं और भगवान का बेवाण चारों पुजारियों द्वारा हाथों में उठाया जाता है। इसके बाद गायों में गंगाजल छिड़ककर ठीकरा घुमाया जाता है। भगवान की इच्छा अनुसार ही कोई भाग्यशाली गाय ठीकरा लेकर विमान के नीचे से दौड़ती

यह अनूठा गाय मेला विश्व में अपनी तरह का एकमात्र आयोजन माना जाता है, जो हर वर्ष सांपला की धरती पर आस्था और परंपरा की अद्भुत मिसाल प्रस्तुत करता है।

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