यूआईटी की भूखंड लॉटरी, सफल आवेदक मांग रहे हैं डिमांड ,तो अन्य हेरा फेरी का आरोप लगा कैंसिल की कर रहे मांग

भीलवाड़ा हलचल।
यूआईटी की भूखंड बुकिंग लॉटरी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक ओर लॉटरी में सफल रहे आवेदकों ने अब भूखंडों का डिमांड नोट और आवंटन पत्र शीघ्र जारी करने की मांग उठाई है, वहीं दूसरी ओर असफल आवेदकों ने प्रक्रिया में हेरा-फेरी के आरोप लगाते हुए लॉटरी को दोबारा कराने की मांग तेज कर दी है।
जानकारी के अनुसार, 16 अक्टूबर को निकाली गई ई-लॉटरी में चयनित आवेदकों ने गुरुवार को शहर विधायक अशोक कोठारी को ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने कहा कि लॉटरी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुई थी, इसलिए अब अनावश्यक देरी नहीं की जानी चाहिए।
आवेदकों ने बताया कि वे वर्षों से यूआईटी की योजनाओं में भूखंड पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अब जब उनका चयन हुआ है, तो आवंटन प्रक्रिया में विलंब से आमजन में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो रही है। उन्होंने मांग की कि जांच प्रक्रिया अपने स्तर पर चलती रहे, लेकिन सफल आवेदकों को डिमांड नोट और आवंटन पत्र जारी करने की प्रक्रिया रोकी न जाए, ताकि पात्र लोगों को शीघ्र राहत मिल सके।
वहीं दूसरी ओर, लॉटरी में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए कुछ लोगों ने इसकी दोबारा जांच और प्रक्रिया पुनः करने की मांग उठाई है। खास बात यह है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद दामोदर अग्रवाल के करीबी जिला अध्यक्ष और अन्य पार्टी नेताओं ने भी सरकार से लॉटरी में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
अब यह मामला राजनीतिक रूप लेता दिख रहा है। माना जा रहा है कि दोनों ही पक्ष — सफल और असफल आवेदक — अब अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। सफल रहे करीब 3,000 आवेदक अपने भूखंडों की मांग को लेकर हाई कोर्ट जाने की योजना बना रहे हैं, जबकि असफल रहे 85,000 से अधिक लोगों में असंतोष की स्थिति बनी हुई है।
