विदाई समारोह में उमड़ा भावनाओं का सागर, गूंजे मन के जज्बात, परस्पर की क्षमायाचना

भीलवाड़ा। आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति द्वारा सुभाषनगर श्रीसंघ के तत्वावधान में दिवाकर कमला दरबार में चातुर्मास कर रहे श्रमण संघीय जैन दिवाकरीय मालव सिंहनी पूज्या श्री कमलावतीजी म.सा. की सुशिष्या अनुष्ठान आराधिका ज्योतिष चन्द्रिका महासाध्वी डॉ. कुमुदलताजी म.सा. आदि ठाणा के चार माह के एतिहासिक सफलतम चातुर्मास की विदाई की बेला भी बुधवार को वीर लोकाशाह जयंति के अवसर पर आ ही गई।
महासाध्वी मण्डल के 7 नवम्बर को विहार करने से पूर्व आयोजित विदाई समारोह में श्रावक-श्राविकाओं ने गीतों व विचारों के माध्यम से मन के जज्बात सामने रखे। भावपूर्ण माहौल में श्रावक-श्राविकाओं ने पूज्य कुमुदलता जी म.सा., स्वरसाम्राज्ञी महाप्रज्ञाजी म.सा., वास्तुशिल्पी पद्मकीर्तिजी म.सा., विद्याभिलाषी राजकीर्तिजी म.सा. से चातुर्मास समाप्ति के बाद भी आशीर्वाद हमेशा बनाए रखने और जल्द फिर भीलवाड़ा की धरा को पावन करने के लिए आगमन की विनती की। वक्ताओं ने कहा कि महासाध्वी मण्डल की जिनशासन भक्ति, मंत्रों की गूंज व वाणी के जादू से जप-तप व साधना की त्रिवेणी धारा ने भीलवाड़ा सुभाषनगर स्थानक के इस चातुर्मास को एतिहासिक एवं अविस्मरणीय बना दिया और कोई भी इसे भूला नहीं पाएगा। सबके भावों ओर जज्बातों का सार यहीं था कि ये लम्हे ओर ये पल कभी भूला न पाएंगे ओर आपके जाने के बाद आपसे मिलने की फरियाद करेंगे जल्द फिर इस धरा पर पधारे यहीं कामना करेंगे।
चातुर्मासिक समापन के लम्हों में सूना ये आंगन, सूना ये मन, गुरूणी मैया ना जाओ यहीं कहती है धड़कन, गुरूणी मैया छोड़ कर आप क्यों जा रहे हो, गुरूणी सा जाना नहीं याद रखना भूल न जाना जैसे विदाई की भावना से ओतप्रोत गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुति ने कई श्रावक-श्राविकाओं के नयनों की पलको को भिगो दिया। महासाध्वी मण्डल, चातुर्मास आयोजन समिति, सुभाषनगर श्रीसंघ एवं वक्ताओं ने चातुर्मास में जाने-अनजाने हुई किसी भी तरह की असाधना के लिए क्षमायाचना भी की। महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. एवं स्वरसाम्राज्ञी महाप्रज्ञाजी म.सा. ने भीलवाड़ावासियों की सेवा,भक्ति की अनुमोदना करते हुए कहा कि ये चातुर्मास कभी नहीं भूला पाएंगे।
