तिलस्वां की देवडूंगरी चारागाह पर अवैध माइनिंग का तांडव! ग्रामीण भड़के, प्रशासन को दी अंतिम चेतावनी

तिलस्वां की देवडूंगरी चारागाह पर अवैध माइनिंग का तांडव! ग्रामीण भड़के, प्रशासन को दी अंतिम चेतावनी
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बिजोलिया/ – ज्योति पाराशर।

तिलस्वां गांव की देवडूंगरी चारागाह भूमि पर अवैध कट्टर बोरिंग और माइनिंग गतिविधियों ने ग्रामीणों का गुस्सा भड़का दिया है। सदियों से चली आ रही इस परंपरागत चारागाह और पवित्र देवस्थान को खोखला किए जाने के प्रयासों के खिलाफ ग्रामीणों ने शुक्रवार को उपखंड अधिकारी अजीत सिंह राठौड़ को ज्ञापन सौंपकर कड़ा विरोध जताया, साथ ही सभी माइनिंग ब्लॉकों को तत्काल निरस्त करने की मांग रखी।


100–200 साल पुरानी चारागाह भूमि पर ‘खोदाई का आतंक’

ग्रामीणों का कहना है कि देवडूंगरी क्षेत्र पीढ़ियों से हजारों पशुओं का चारागाह है। यहां स्थित प्राचीन देव मंदिर आज भी ग्रामीणों की आस्था का केंद्र है, जिसका संरक्षण ग्रामवासियों ने वर्षों से स्वयं किया है—

चारदीवारी, साफ-सफाई, देखरेख… सब गांव के लोगों ने ही संभाला है।

लेकिन इसके बावजूद माइनिंग विभाग ने इस पवित्र और उपयोगी भूमि को लीज के खेल में शामिल कर दिया। ग्रामीणों ने इसे सीधा-सीधा “चारागाह और धर्मस्थल पर बुलडोजर” बताया।


एग्रीमेंट नहीं, पर्यावरण स्वीकृति नहीं—फिर भी चल रही बोरिंग!

ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाए कि

ब्लॉक धारकों को न एग्रीमेंट मिला है, न पर्यावरण स्वीकृति,

फिर भी कुछ लोग कट्टर बोरिंग, ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग कर रहे हैं।

ये गतिविधियां न सिर्फ कानून के खिलाफ हैं, बल्कि देवस्थान और चारागाह दोनों के अस्तित्व पर खतरा हैं।

ग्रामीणों ने कहा—

“यह अवैध माइनिंग नहीं, देवडूंगरी की हत्या है।”

अवैध बोरिंग करवाने वालों की गिरफ्तारी की मांग

ग्रामीणों ने एसडीएम को सौंपे ज्ञापन में मांग की कि

अवैध बोरिंग करवा रहे जिम्मेदार लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए

और देवडूंगरी में आवंटित सभी माइनिंग ब्लॉकों को निरस्त किया जाए,

ताकि यह क्षेत्र सुरक्षित रह सके।

ज्ञापन की प्रतिलिपि तहसीलदार, पुलिस थाना बिजोलिया, ग्राम पंचायत तिलस्वां और खनिज विभाग को भी भेजी गई है।

ग्रामीणों की दो-टूक चेतावनी — “अब आंदोलन होगा”

ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि

अगर प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की,

तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे।

उनका कहना है कि देवडूंगरी चारागाह सिर्फ जमीन नहीं,

बल्कि पशुओं की जीवनरेखा और गांव की आस्था है,

जिसे किसी भी कीमत पर नष्ट नहीं होने दिया जाएगा।

देवडूंगरी पर अवैध माइनिंग को लेकर गांव का माहौल उबाल पर है—

और अब गेंद प्रशासन के पाले में है।

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