राजस्थान में फिर दिखी ग्लॉसी आइबिस, पहली बार प्रजनन के एक साल बाद दोबारा मौजूदगी

भीलवाड़ा। राजस्थान में पहली बार दर्ज किए गए प्रजनन के एक साल बाद ग्लॉसी आइबिस पक्षी इस बार फिर सर्दियों के मौसम में दिखाई दिए हैं। स्थानीय रूप से छोटी बगिया कहलाने वाले ये पक्षी भीलवाड़ा जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में नदियों, तालाबों और बांधों के आसपास नजर आए हैं।
पिछले वर्ष भीलवाड़ा के नेहरू तलाई क्षेत्र में ग्लॉसी आइबिस का राजस्थान में पहला प्रजनन दर्ज किया गया था। यह अवलोकन भीलवाड़ा के राजकीय महाविद्यालय में प्राणी विज्ञान के प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार शर्मा ने किया था। उन्होंने तीन महीने तक लगातार निगरानी करते हुए घोंसला निर्माण और बच्चों के जन्म का दस्तावेजीकरण किया था। उनके शोध निष्कर्ष इंडियन बर्ड्स नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए थे।
डॉ शर्मा ने बताया कि इस वर्ष भी ग्लॉसी आइबिस की मौजूदगी की पुष्टि हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रजनन के बाद ये पक्षी दोबारा राजस्थान के जल स्रोतों की ओर लौटे हैं। ग्लॉसी आइबिस मध्यम आकार का पक्षी होता है, जिसकी लंबी चोंच और पतले लंबे पैर होते हैं। दूर से देखने पर यह काले रंग का प्रतीत होता है, लेकिन पास से देखने पर इसके शरीर पर गहरे मरून, कांस्य, बैंगनी और हरे रंग की धात्विक चमक दिखाई देती है।
पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार ग्लॉसी आइबिस आमतौर पर दक्षिण भारत में प्रजनन करता है और गुजरात में भी सामान्य रूप से देखा जाता है। राजस्थान में इससे पहले इनके घोंसले या बच्चों का कोई रिकॉर्ड नहीं था। इस बार की लगातार sightings से यह संकेत मिलता है कि राज्य में जल स्रोतों की स्थिति इन पक्षियों के लिए अनुकूल बन रही है, जो जैव विविधता के लिहाज से एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
