भीलवाड़ा टेक्सटाइल उद्योग में भूचाल :: व्यापारियों ने 2% लेवी को बताया “तानाशाही फरमान”

व्यापारियों ने 2% लेवी को बताया “तानाशाही फरमान”
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भीलवाड़ा। कपड़ा व्यापारियों और वस्त्र निर्माताओं ने प्रोसेस हाउसों द्वारा थोपे गए 2% लेवी को खुलकर ललकारते हुए इसे भीलवाड़ा टेक्सटाइल उद्योग की रीढ़ तोड़ने की साजिश करार दिया है। टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के कार्यालय में आयोजित अहम बैठक में उद्योगपतियों ने साफ कह दिया कि यह लेवी किसी भी हाल में मंजूर नहीं होगी।

बैठक की अगुवाई श्यामजी चांडक, रामेश्वरजी काबरा और प्रेम स्वरूपजी गर्ग ने की। सभी उपस्थित कारोबारियों ने एक सुर में चेतावनी दी कि यदि यह मनमानी लेवी वापस नहीं ली गई तो शहर की वीविंग यूनिट्स और अन्य उत्पादन इकाइयां तालेबंद हो जाएंगी। इसका खामियाजा हजारों मजदूरों-कामगारों को भुगतना पड़ेगा और दीपावली जैसे बड़े त्योहार पर भीलवाड़ा का बाजार सूना हो जाएगा।

व्यापारियों ने आरोप लगाया कि यह कदम कुछ चुनिंदा कॉर्पोरेट घरानों की सोची-समझी चाल है, जो पूरे क्लस्टर पर एकाधिकार जमाने के लिए छोटे और मझोले कारोबारियों को कुचलना चाहते हैं। उनका कहना है कि यह 2% लेवी दरअसल जीएसटी में 5% की कमी से उपभोक्ताओं को मिलने वाले लाभ को रोककर अपने खजाने में डालने की धांधली है।

प्रेस नोट में व्यापारियों ने साफ कहा कि वर्षों से आपसी विश्वास और सहयोग से भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग “देश का सबसे बड़ा सूटिंग क्लस्टर” बन चुका है। MSME इकाइयों ने इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। लेकिन अब कुछ कॉर्पोरेट घराने स्पिनिंग से लेकर प्रोसेसिंग तक की पूरी चेन पर कब्जा कर, छोटे व्यापारियों को बर्बाद करने पर आमादा हैं।

व्यापारियों ने प्रोसेस हाउसों को चेतावनी दी—

👉 अगर लेवी नहीं हटाई गई तो मजबूरन सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।

👉 भीलवाड़ा टेक्सटाइल क्लस्टर और MSME उद्योग को बचाने के लिए हर संभव न्यायिक और आर्थिक कदम उठाए जाएंगे।

भीलवाड़ा के कारोबारियों का कहना है—“यह लड़ाई सिर्फ 2% लेवी की नहीं, बल्कि छोटे उद्योगों के अस्तित्व की लड़ाई है।”


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