नई राजस्थान औद्योगिक विनिवेश प्रोत्साहन नीति 2024 बनाने के लिए औद्योगिक संगठनों के साथ सुझाव मीटिंग

नई राजस्थान औद्योगिक विनिवेश प्रोत्साहन नीति 2024 बनाने के लिए औद्योगिक संगठनों के साथ सुझाव मीटिंग
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भीलवाडा । राज्य सरकार की ओर से नई राजस्थान औद्योगिक विनिवेश प्रोत्साहन नीति 2024 बनाने के लिए जयपुर में औद्योगिक संगठनों के साथ सुझाव मीटिंग का आयोजन राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) की अध्यक्षता में आज राज्य सचिवालय में किया गया। भीलवाड़ा से मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के प्रतिनिधिमण्डल ने इसमें भाग लिया।

मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के मानद महासचिव आर के जैन ने बताया कि चैम्बर की ओर से मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश की औद्योगिक प्रोत्साहन नीतियों का तुलनात्मक चार्ट बनाकर राजस्थान में भी उद्योगों को अन्य राज्यों के अनुरुप प्रोत्साहन देने का अनुरोध किया। चैम्बर ने सुझाव दिये कि मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के अनुरुप राजस्थान मंे भी 40 प्रतिशत केपिटल सब्सिडी प्रदान की जानी चाहिए। ब्याज अनुदान 5 प्रतिशत के बजाय 6 प्रतिशत किया जाकर 5 वर्षो में भुगतान किया जाए एवं अधिकतम ब्याज अनुदान सीमा फिक्सड इनवेस्टमेन्ट के 2.5 प्रतिशत समाप्त करके किये गये इनवेस्टमेन्ट पर 6 प्रतिशत से प्रदान किया जाए।

अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में विद्युत की दरे काफी अधिक है। सभी राज्य अपने प्रदेशों में टेक्सटाइल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दो रुपये प्रति यूनिट का अनुदान दे रहे है, राजस्थान में भी दो रुपये प्रति यूनिट से विद्युत शुल्क अनुदान दिया जाए। सौलर पावर को बढावा देेने के लिए केप्टिव उपयोग के लिए रुफ टॉप सौलर पावर प्लान्ट लगाने की कोई सीमा नही रखी जाए। केप्टिव रुफ टॉप सौलर पावर प्लान्ट में नेट मीटरिंग प्रणाली पूर्वतः लागू की जाए। एक्सपोर्ट किये जा रहे माल के परिवहन पर फ्रेट सब्सिडी में अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये को समाप्त कर समस्त एक्सपोर्ट माल पर फ्रेट सब्सिडी प्रदान की जाए।

राज्य में भू-उपयोग परिवर्तन में बहुत समय लगता है, जिला स्तर पर भू-उपयोग परिवर्तन के अधिकार दो लाख वर्ग मीटर से बढ़़ाकर 5 लाख वर्ग मीटर तक प्रदान किये जाए। सिंगल विंडो सिस्टम को अन्य राज्यों के अनुरूप विकसित किया जाकर सभी विभागों को एक छत के नीचे लाकर समयबद्ध सीमा में उद्योगों के आवेदन का निस्तारण किया जाना चाहिए। अधिक रोजगार प्रदान करने वाले एवं निर्यात मुखी उद्योगों के लिए रोजगार प्रोत्साहन एवं निर्यात प्रोत्साहन अनुदान प्रदान किये जाना चाहिए। आरआईपीएस 2022 से 2024 में माइग्रेशन के लिए स्पष्ट नीतियां को घोषणा की जानी चाहिए।

जैन ने बताया कि मेवाड़ चैम्बर के सुझावों एवं विभिन्न राज्यों के तुलनात्मक चार्ट के लिए सराहना की गई।

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