कथा में गोवर्धन पूजा व छप्पन भोग का आयोजन होगा 26 को
भीलवाड़ा/ गंगापुर | भक्ति हमेशा निस्वार्थ भाव से करना चाहिए भक्ति कर यदि भगवान से कुछ मांगा जाता है तो यह निस्वार्थ भक्ति नहीं होती है व्यक्ति यदि संसार की तुच्छ वस्तुओं में रह जाता है तो वह प्रभु का प्रेम प्राप्त नहीं कर सकता भगवान से हमेशा प्रभु चरणों की भक्ति मांगना चाहिए यदि भक्ति में कष्ट होता है तो भी अपने इष्ट का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए नाम लेने से असुर कुल में जो जन्म लेता है उसको भी भगवान तार देते हैं हमने तो मानव कुल में जन्म लिया है नाम लेने पर प्रभु कृपा अवश्य करते हैं संकट के समय प्रभु का नाम लेना नहीं छोड़ना चाहिए l व्यक्ति सुख दुख, हानि लाभ, जीवन मरण यह सब प्रारब्ध के अनुसार भोक्ता है व्यक्ति को भगवान पर भरोसा पक्का होना चाहिएl विश्वास बहुत छोटा शब्द है लेकिन किसी का विश्वास जीतने में पूरी उम्र लग जाती है अपने परमात्मा पर पूर्ण विश्वास करना चाहिए l यह बात नाथू लाल मुन्दडा परिवार द्वारा राधा कृष्णा वाटीका गंगापुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में चौथे दिन परम श्रद्धेय संत दिग्विजय राम महाराज ने कही, कथा में आज कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया पूरे पंडाल को रंग बिरंगे गुब्बारो से सजाया गया,जिसमें महिलाएं व पुरुष पीले वस्त्र पहनकर पंडाल में खूब नाच गान कर बधाइयां दे रहे थे कथा में आज राजा बलि का विशेष प्रसंग बताया गया, भागवत कथा में 26 दिसंबर को भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाएं, गोवर्धन पूजा व 56 भोग का विशाल आयोजन किया जाएगा
इससे पूर्व आज कथा मैं भागवत जी की आरती एवं महाराज श्री से आशीर्वाद लेने में ज्ञानदेव विश्वकर्मा प्रादेशिक परिवहन अधिकारी चित्तौड़गढ़ ,सुमन डे लू जिला परिवहन अधिकारी चित्तौड़गढ़, गौरव यादव जिला परिवहन अधिकारी भीलवाड़ा, अभिजीत सिंह जिला परिवहन अधिकारी भीलवाड़ा, मुकेश डाड परिवहन निरीक्षक चित्तौड़गढ़ उपस्थित थे
मीडिया प्रभारी महावीर समदानी जानकारी देते हुए बताया कि महाराज ने कथा में विस्तार से बताते हुए कहा किव्यक्ति के जीवन की आवश्यकताओं की व्यवस्था भगवान स्वयं करते हैं कीड़ी को कण व हाथी को मण यथायोग्य प्राप्त होता है एक चट्टान में रहने वाले छोटे से जीव के व्यवस्था भी ईश्वर करता हैl इस संसार में दो हाथ वाला कितना समेट लेगा जबकि हजार हाथो वाला देने वाला हैl भक्त प्रहलाद के चरित्र से यह शिक्षा लेना चाहिए कि भगवान पर भरोसा रखो तब भगवान स्वयं कृपा करेंगे l जीवन के चार आश्रम है ब्रह्मचर्य , ग्रहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास एक गृहस्थी के लिए मुक्ति का उत्तम मार्ग क्या है ? ग्रस्थी के लिए काम करना उसका धर्म है अपने हर कार्य को प्रभु को समर्पित कर करना चाहिए जीवन की हर क्रिया में भगवान की कृपा मानना चाहिएl काम की प्रति जितनी आप रुचि रखते हैं उतनी ही रुचि राम नाम में व्यक्ति को रखना चाहिए संसार में काम कभी समाप्त नहीं होता है अतः समय पर भगवत भजन करना उचित है l यह विश्व कर्म प्रधान है कर्म करते हुए ईश्वर भजन करना पड़ता है यही व्यक्ति के लिए मुक्ति का सर्वोत्तम मार्ग है I भागवत जीवन के क्लेश को समाप्त करती हैं प्राय: यह देखा गया है कि जब भी मनुष्य में कोई आपदा आती है तो सर्वप्रथम अपने ही साथ छोड़कर चले जाते हैं केवल उस संकट की घड़ी में प्रभु का ही एक आसरा रहता हैl इस संसार में मरने के लिए थोड़ा जहर ही पर्याप्त है लेकिन व्यक्ति को जीने के लिए बहुत ज्यादा जहर पीना पड़ता हैl भगवान सहन करना सिखाते हैं ठाकुर की भक्ति से जहर का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है l जब व्यक्ति की भक्ति मजबूत होती है l व्यक्ति के जीवन में दुख तो अवश्य आएंगे लेकिन भक्ति से दुखों का प्रभाव कम होता है प्रभु के सामने हमेशा मांगने नहीं जाना चाहिए केवल भाव लेकर जाना चाहिए मानव हर क्षण प्रभु से अनुग्रहित होता है यह केवल अनुभव किया जा सकता है प्रभु की कृपा का आकलन संसार की भौतिक वस्तुओं से नहीं करना चाहिए संत कृपा से भागवत की प्राप्ति होती है और प्रभु कृपा से ही संत मिलते हैं प्रभु के चरणों में थोड़ी भक्ति करके व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए अहंकार करने से अर्जित की हुई भक्ति भी नष्ट हो जाती है l मनुष्य को " में " के भ्रम में नहीं रहना चाहिए ईश्वर पर विश्वास ही सबसे बड़ी संपत्ति है संसार की चिंता को त्याग कर हरि का चिंतन करने से व्यक्ति की चिंताएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं ईश्वर पर विश्वास पक्का होना चाहिए व्यक्ति अपने कर्मों का फल भोगता है ईश्वर l व्यक्ति को केवल अपनी गृहस्थी में आसक्त नहीं होना चाहिए हर कार्य को भगवान को समर्पित कर करना चाहिए भगवत भजन ही जीव का मुक्ति का मार्ग है संसार के काम के साथ-साथ उसे संसार बनाने वाले का भी स्मरण करते रहना चाहिए व्यक्ति को संसार से उम्मीद नहीं रखना चाहिए संसार बनाने वाले से उम्मीद रखना चाहिए l जीवन में लक्ष्मी चार प्रकार से आती है मां के रूप में पत्नी के रूप में बहन के रूप में और बेटी के रूप में परोपकार एवं दान से ही लक्ष्मी की लक्ष्मी शुद्ध होती है यदि उसे ऊपर वाले ने आपको धन दिया है तो उसे धन का दान अवश्य करना चाहिए l ज्ञान शांति का प्रतीक है l आज कथा में गजेंद्र मोक्ष ,समुद्र मंथन, वामन अवतार, मत्स्य अवतार का वर्णन करते हुए कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया l आज ब्रह्मलीन त्याग मूर्ति श्रद्धेय गुरुदेव श्री भगत राम जी महाराज की पावन पुण्यतिथि पर समाधि पूजन संत श्री रमता राम जी एवं संत दिग्विजय राम जी के द्वारा किया गया कथा का आयोजन 28 दिसंबर तक दोपहर 1 से 5 बजे तक आयोजित होगी