जिलेभर में 28 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक मनाया जाएगा विश्व रेबीज सप्ताह

भीलवाड़ा। रेबीज जैसी घातक बीमारी, जो संक्रमित कुत्तों के काटने से फैलती है और समय पर उपचार न मिलने पर जानलेवा साबित होती है, उसके उन्मूलन के उद्देश्य से जिलेभर में 28 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक ‘‘विश्व रेबीज सप्ताह’’ मनाया जाएगा। हर वर्ष 28 सितम्बर को मनाया जाने वाला विश्व रेबीज दिवस लोगों, संगठनों और समाज को एकजुट होकर इस रोग से लड़ने का संदेश देता है। इस वर्ष की थीम ‘‘अभी कार्य करेंः आप, मैं, समुदाय’’ है, जो प्रत्येक नागरिक को रेबीज उन्मूलन में सक्रिय योगदान देने का आह्वान करती है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव कुमार शर्मा के निर्देशानुसार इस सप्ताह के दौरान स्वास्थ्य विभाग, नगरपालिकाओं, ब्लॉकों और ग्राम पंचायतों के सहयोग से विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी जिनमें सामूहिक कुत्ता टीकाकरण अभियान के तहत घरेलू और आवारा कुत्तों का बड़े पैमाने पर टीकाकरण, आमजन के लिए निःशुल्क रेबीज क्लीनिक का आयोजन, विद्यालयों में विद्यार्थियों को जागरूक करने हेतु शैक्षिक कार्यक्रम, जनसमुदाय में संदेश पहुँचाने के लिए रैलियाँ, नुक्कड़ नाटक और प्रचार सामग्री का वितरण, टीवी, रेडियो, समाचार पत्र और सोशल मीडिया के माध्यम से संदेश प्रसारण, पशु कल्याण संगठनों के सहयोग से आवारा कुत्तों का प्रबंधन और टीकाकरण, साथ ही उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर निगरानी एवं आंकलन शामिल हैं।
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. प्रवीण झरवाल ने बताया कि रेबीज 100 प्रतिशत टीकाकरण योग्य और रोकथाम योग्य रोग है तथा समय पर वैक्सीन लगाने से यह पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। इस अभियान का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोग टीकाकरण और जागरूकता गतिविधियों में भाग लें और ‘‘रेबीज मुक्त समाज’’ बनाने की दिशा में योगदान दें।
रेबीज क्या है-
रेबीज, एक वायरल संक्रमण है, जो मनुष्य और जानवरों में हमेशा से घातक होता है। यह जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी संक्रमित जानवरों के काटने से होती है एवं बीमारी से बचना पूरी तरह संभव है।
जानवर के काटने पर परेशान न हो टीकाकरण है इसका समाधान-
बचाव हेतु क्या करें- घाव को तत्काल साबुन और बहते पानी से अच्छी तरह धोएं। एंटीसेप्टिक लगाएं। तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें या इलाज के लिए अस्पताल जाएं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार एंटी-रेबीज टीकाकरण कोर्स अवश्य पूरा करें। पालतू कुत्ते को एंटी-रेबीज के टीके लगवाएं।
बचाव हेतु क्या न करें- जानवरों द्वारा मारे गए पंजे के घाव को नजरअंदाज न करें। झाड-फूंक या घरेलू उपचार पर समय न गवाएं। घाव पर नमक, मिर्च या तेल का उपयोग न करें। घाव की तुरंत सफाई में लापरवाही न बरते।
चिकित्सा विभाग ने जिले के सभी नागरिकों, सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवकों और शैक्षणिक संस्थानों से अपील की है कि वे विश्व रेबीज सप्ताह के दौरान सक्रिय भागीदारी कर वर्ष 2030 तक रेबीज उन्मूलन के वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग करें।
