माधव गौशाला में छप्पन भोग अर्पित कर भक्तों ने मनाई गोपाष्टमी, 35 गायों को गोद लिया

भीलवाड़ा । गौ-सेवा और सनातन धर्म का पवित्र पर्व गोपाष्टमी परम पूज्य माधव गो विज्ञान अनुसंधान संस्थान की गौशाला में धूमधाम से बनाया गया। जहाँ गौमाता की विशेष पूजा-अर्चना के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। संस्थान के गिरिराज काबरा और भंवरलाल दरगड़ ने बताया कि दोपहर में विधि-विधान से गौमाता की विशेष पूजा-अर्चना की गई। गौवंश को इस मौके पर अत्यंत पौष्टिक और पारंपरिक व्यंजनों का छप्पन भोग लगाया गया। छप्पन भोग में विशेष रूप से मेथी, जौ, बाजरा, ज्वार, अजवाइन के लड्डू व लापसी के साथ-साथ खल, काकड़ा, पशु आहार और विभिन्न मौसमी सब्जियाँ शामिल थीं। भक्तों ने गौमाता को मनोकामना पुष्प, फल और पालम अर्पित किए, जिससे पूरे वातावरण में आनंद और अलौकिक अनुभूति व्याप्त हो गई। गोपाष्टमी के इस पावन अवसर पर संस्थान में उपस्थित गौ-भक्तों ने गौशाला की लगभग 35 गायों को गोद लिया। गोद ली गई प्रत्येक गाय का वार्षिक शुल्क 11,000 है, जिसका उपयोग गौमाता के पोषण और देखभाल में किया जाएगा। इस अवसर पर संस्थान के सचिव सत्यप्रकाश गगड़ ने पर्व के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गोपाष्टमी का दिन अत्यंत पवित्र है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन पहली बार गायों को चराना (गौचारण) शुरू किया था। गगड़ ने आगे कहा, "गौमाता में तैंतीस कोटि देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए इस पावन दिन पर गौ-सेवा का एक छोटा सा कार्य भी आपको वर्षभर का महापुण्य प्रदान करता है और यह साक्षात भगवान श्री कृष्ण की सेवा के समान है।" उन्होंने कहा कि गौ-सेवा केवल धर्म ही नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक और आर्थिक जीवन का भी आधार है।
