संकट में कपड़ा उद्योग, 40-50 प्रतिशत मशीनें बंद, शनि-रविवार छुट्टी
भीलवाड़ा। देश के कुल टेसटाइल प्रोडक्शन का लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन वाले भीलवाड़ा कपड़ा उद्योग भयंकर संकट में है। इसकी चूलें हिली हुई हैं। लोकल एवं एसपोर्ट मार्केट में डिमांड कमजोर होने के कारण
फैक्ट्रियां एक सप्ताह में पांच दिन चल रही है। हर शनिवार व रविवार को छुट्टी। जो उद्योगपति अपनी फैक्ट्रियां सप्ताह में सातों दिन चला रहे हैं, उन्होंने रोज 40 से 50 प्रतिशत तक मशीनें बंद कर रखी है, ताकि प्रोडक्शन कम रहे। कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि सालाना 25 हजार करोड़ की कपड़ा मंडी में लंबे समय से ये हालात चल रहे हैं। यहां धागा बनाने से लेकर कपड़़ा बनाने व प्रोसेस करने की फैक्ट्रियां लगी है। लगभग 450 फैक्ट्रियों पर कपड़ा बुनता है। दो दर्जन प्रोसेस हाउसों में कपड़े की फिनिशिंग होती है। अन्य सहायक उद्योग भी है, जो टेक्सटाइल पर निर्भर हैं। यूनिफॉर्म सीजन नहीं चलने का भी असर पड़ा। न घरेलू बाजार में कपड़े की मांग है, न ही विदेशों में। इन सबका प्रभाव ये पड़ा कि कपड़ा उद्योग धीरे-धीरे भयंकर मंदी की चपेट में आ गया।
उद्यमी कहते हैं-ऐसा दौर बरसों बाद देखा। भीलवाड़ा के बड़े औद्योगिक समूहों को छोड़ दें तो अन्य छोटे उद्यमियों ने प्रोडक्शन आधा कर दिया है। उन्होंने हर सप्ताह शनिवार व रविवार को कपड़ा फैक्ट्रियों के प्लांट बंद रखने शुरू कर दिए। जो उद्यमी अपने प्लांट को सातों दिन चला रहे हैं, उन्होंने शिफ्ट कम की या सभी
मशीनें चलाने के बजाय आधी मशीनें ही चला रहे। यही हाल प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का है। कहीं 40 प्रतिशत तो कहीं 50 प्रतिशत मशीनें चल रही। वीविंग जॉब रेट भी 20 पैसे से गिरकर अब 7 पैसे प्रति पिक तक आ गए। इसका असर ये हुआ कि मार्केट में आर्थिक तंगी है। खरीदारों से भुगतान आने में देरी हो रही। बैंकों की लोन किस्तें सहित अन्य खर्चे यथावत हैं।