एनजीटी द्वारा चिड़ियाघर संरक्षण के लिए जाजू की याचिका पर मुख्य सचिव सहित 5 को नोटिस

भीलवाड़ा।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेंट्रल जोनल बैंच भोपाल ने कोटा चिड़ियाघर में प्रस्तावित खेल परिसर के विकास के लिए पेड़ों की कटाई के मामले में मुख्य सचिव राजस्थान सरकार, जिला कलेक्टर कोटा, वन विभाग कोटा, कोटा विकास प्राधिकरण सहित 5 को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। एनजीटी ने पीपल फॉर एनिमल्स के प्रदेश प्रभारी एवं भीलवाड़ा निवासी पर्यावरणविद बाबूलाल जाजू की अधिवक्ता लोकेंद्र सिंह कछावा के मार्फत दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ता बाबूलाल जाजू ने याचिका में बताया कि कोटा चिड़ियाघर की स्थापना 1905 में कोटा के महाराजा ने की थी और यह हाडोती क्षेत्र का एकमात्र चिड़ियाघर है एवं वन विभाग 1954 से इसका संचालन कर रहा है। जाजू ने आरोप लगाया गया है कि कोटा विकास प्राधिकरण ने वन भूमि पर स्थित इस चिड़ियाघर की भूमि को खेल परिसर के विकास के लिए अधिग्रहित करने का प्रस्ताव दिया है. जो पूरी तरह से मनमाना, अन्यायपूर्ण और पर्यावरण के खिलाफ है।

याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि चिड़ियाघर बड़ी संख्या में 100 साल से अधिक पुराने पेड़ों का घर है, जो हॉर्नबिल, बुलबुल, सनबर्ड, प्रिनिया, विवेर, एग्रेस्ट जैसी कई लुप्तप्राय/संरक्षित पक्षी प्रजातियों का निवास स्थान हैं। पेड़ो की कटाई से पक्षियों का बसेरा उजड़ने के साथ ही पर्यावरण को अपूरणीय क्षति होगी। माननीय न्यायमूर्ति शिवकुमार सिंह और डॉ. अफरोज अहमद विशेषज्ञ सदस्य की पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही मामले की रिपोर्ट के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक, आयुक्त कोटा संभाग एवं सदस्य सचिव राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक एक प्रतिनिधि की संयुक्त समिति गठित कर साइट का दौरा कर छह सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिए। एनजीटी ने मामले में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रमुख पक्षकार मानते हुए प्रतिवादी संख्या 6 के रूप में तत्काल जोड़ने के भी निर्देश दिए। मामले में अगली सुनवाई 26 अगस्त 2025 को होगी। उल्लेखनीय हैं कि जाजू ने प्राचीन चिड़ियाघर का अवलोकन कर पुराने विशालकाय पेड़ो एवं विलुप्त होते पक्षियों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए एनजीटी की शरण ली थी।

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