गांधीसागर की दुर्गंध से लोगों का सांस लेना मुश्किल, अनदेखी से पसरी तालाब में गंदगी, खतरा बन सकती है टूटी पाल
भीलवाड़ा प्रहलाद तेली। शहर के गांधी सागर तालाब के हालात वर्षों बाद भी नहीं बदले हैं। आसपास के आबादी क्षेत्र में इसकी बदबू लोगों की परेशानी बनी है। यहां आज तक न तो नियमित सफाई हो पाई और न ही पुख्ता समाधान के लिए कोई विशेष प्रयास किए गए। इतना ही नहीं अनदेखी के चलते इस तालाब की सुरक्षा दीवार भी कई जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है और रोड़ पर गड्ढे बन गये हैं, जो कभी भी आस-पास के क्षेत्रों के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, शहर के गांधी सागर तालाब में जिधर नजर जाये, उधर गंदगी नजर आ रही है। गंदगी का आलम यह है कि आस-पास रहने वाले लोगों का बदबू से जीना दुभर हो रहा है। क्षेत्रीय नागरिक तुलसीराम उपाध्याय का कहना है कि गांधी सागर तालाब भीलवाड़ा का सबसे पुराना तालाब है। इस तालाब की सफाई पर करोड़ों रुपये लगने के बावजूद भी स्थिति वैसी की वैसी है। हालात यह है कि यहां आस-पास रहने वाले लोगों को इसकी दुर्गंध के चलते सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। उपाध्याय का कहना है कि वे, बचपन में इसी तालाब में नहाया करते थे, तब इस तालाब का पानी इतना साफ और स्वच्छ था कि लोग घरों में इसी तालाब का पानी ले जाकर उपयोग करते थे। लेकिन आज स्थिति यह है कि इस तालाब में आस-पास की कॉलोनियों के नालों का गंधा पानी आता है। उपाध्याय ने कहा कि नगर परिषद की उदासीनता के कारण तालाब की सफाई नहीं हो पा रही है। उपाध्याय ने नगर परिषद और जिला प्रशासन से इस तालाब पर ध्यान देकर समस्या का समाधान कराने की मांग की है।
कई जगह से टूटी पाल, सडक़ पर बने गड्ढे
शहर के गांधी सागर तालाब की पाल कई जगहों से टूट चुकी है। यहां तक की रोड़ पर बड़े-बड़े गड्ढे भी बन चुके हैं और बारिश के मौसम में हादसे का सबब भी बन सकते हैं। यहां तक की टूटी पाल आस-पास के लिए भी खतरा बन सकती है। इन गड्ढों में कोई राहगीर या वाहन न गिरे, इसके लिए वहां बांस बांध दिये गये हैं, लेकिन इसकी मरम्मत की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।
नगर परिषद की सालों पहले फैल हो चुकी है योजना
नगर परिषद ने शास्त्रीनगर से आने वाले नाले से गंदे पानी को डायवर्ट करने के लिए सालों पहले पहले एक करोड़ रुपए की लागत से गांधीसागर तालाब में पाइपलाइन डाली थी। पाइपलाइन को शास्त्रीनगर बड़ला चौराहे वाले किनारे से गांधीसागर की पाल के सहारे तिलकनगर स्थित पंचमुखी दरबार के पास गांधीसागर तालाब के दूसरे किनारे पर निकाला । इसका उद्देश्य था कि शास्त्रीनगर नाले से रुटीन में आने वाले गंदे पानी को पाइपलाइन से डायवर्ट कर बाहर निकाल दिया जाएगा। बारिश में पाइपलाइन के गेट बंद कर बारिश का पानी तालाब में डायवर्ट कर देंगे। पाइपलाइन घटिया होने के कारण कुछ महीनों बाद ही टूट गई। नतीजतन गंदे पानी के डायवर्ट की योजना फेल हो गई। अभी शास्त्रीनगर के बड़े नाले का गंदा पानी तालाब में जा रहा है।