कृषक वैज्ञानिक संवाद में सीखी खरीफ फसल प्रबन्धन की नवीनतम तकनीकी

कृषक वैज्ञानिक संवाद में सीखी खरीफ फसल प्रबन्धन की नवीनतम तकनीकी
X

भीलवाड़ा । कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा पर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण, आत्मा भीलवाड़ा द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद का आयोजन 29 से 30 जुलाई 2024 को किया गया। कार्यक्रम में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डाॅ. सी. एम. यादव ने खरीफ ऋतु में फसलों, फल उद्यान एवं पशुधन में आने वाली समस्याओं के समाधान को प्रायोगिक रूप से समझाया साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र की गतिविधियों के बारे में बताया। डाॅ. यादव ने पशुओं की प्रमुख नस्लें, वर्षा ऋतु में दुधारू पशुओं में रखने वाली सावधानियाँ, पशुओं को खुरपका-मुँहपका रोग से बचाने के उपाय बताये।

संयुक्त निदेशक कृषि, गोपाल लाल कुमावत ने राजस्थान सरकार द्वारा कृषक हितार्थ संचालित प्रमुख योजनाएँ, अनुदान जिसमें फसल बीमा, खेत तारबन्द, खेत तलाई एवं फसलों का मूल्य संवर्धन कर आजीविका सुदृढ़ करने की आवश्यकता जताई साथ ही वर्ष भर आमदनी के लिए खेती के साथ-साथ फल एवं सब्जी उत्पादन करने के बारे में बताया। उपनिदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा डाॅ. शंकर सिंह राठौड़ ने ड्रिप और फव्वारा सिंचाई पर अनुदान एवं जल प्रबन्धन की तकनीकीयों के साथ फसलों में समय पर निराई-गुड़ाई करके अधिक उत्पादन करने की सलाह दी। डाॅ. राठौड़ ने आत्त्मा योजना के माध्यम से किसानों को फसल, उद्यान, पशुपालन, जैविक खेती एवं कृषि यन्त्रीकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को ब्लाॅक, जिला एवं राज्य स्तर पर सम्मानित करने के बारे में बताया।

डाॅ. के. सी. नागर, प्रोफेसर शस्य विज्ञान ने मक्का, उड़द एवं मूँग में खरपतवार प्रबन्धन, मक्का में फाल आर्मी वर्म एवं उड़द मे पीला रोग के प्रबन्धन की तकनीकीयाँ बताई।

उप परियोजना निदेशक सुनीता डीडवानिया ने महिलाओं एवं कृषकों को स्वयं सहायता समूह बनाकर राज्य सरकार की कृषक हितार्थ योजनाओं द्वारा अधिक से अधिक लाभ लेने की आवश्यकता प्रतिपादित की। तकनीकी सहायक अनिता यादव ने केन्द्र पर स्थापित सजीव इकाईयों का भ्रमण करवाते हुए अधिक आमदनी हेतु समन्वित कृषि प्रणाली अपनाने का सुझाव दिया। पूर्व सहायक कृषि अधिकारी नन्द लाल सेन ने खरीफ फसलों में कीट एवं व्याधि प्रबन्धन के बारे में किसानों को समझाया ताकि फसलों में कम से कम नुकसान हो सके। संवाद में चावण्ड़िया, कालसास एवं पोण्डरास के 25 कृषक एवं कृषक महिलाओं की सहभागिता रही।

Next Story