आधा सावन बीता: तालाब पड़े खाली

तालाब पड़े खाली
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भीलवाड़ा (प्रहलाद तेली) । इस वर्ष बारिश की कमी का असर जलस्त्रोतों पर दिखाई देने लगा है। आषाढ़ के बाद सावन का आधा महीना बीतने के बाद भी जलस्त्रोत खाली है। बारिश की कमी लोगों की चिंता बढ़ा रही है, वहीं जलस्त्रोतों का खाली रहना भी आगामी समय में जल संकट की स्थिति को दर्शा रहा है। अब तक अधिकांश गांवों में तालाबों में जलभराव न के बराबर है। हालांकि बारिश का क्रम बना हुआ है, लेकिन यह जलस्त्रोतों में पानी एकत्रित होने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके लिए तेज बारिश की आवश्यकता है। बारिश के लिए आषाढ़ माह महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन वह भी समाप्त हो चुका है। फसलों की दृष्टि से तो बारिश बेहतर हो रही है, लेकिन जलस्त्रोत भराने के लिए तेज बारिश होना चाहिए। ऐसे में किसानों व आम नागरिकों को भय बना हुआ है कि यदि कम बारिश होती है तो आगामी समय में रबी की फसलों एवं पेयजल समस्या से लोगों को जूझना पड़ेगा। वर्तमान में हालत यह है कि खेतों के कुओं में भी पानी नहीं है।

प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हरणी महादेव का तालाब वर्तमान में पूरा नहीं भर सका है, जबकि आषाढ़ माह बीत चुका है। वर्तमान स्थिति तक तालाब लबालब भर जाता है, लेकिन इस साल कम बारिश के कारण तालाब में पानी की कमी है। आषाढ़ के बाद अब सावन भी बीता लेकिन तेज और मूसलाधार बारिश की कमी अब भी बनी हुई है।

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