नगर परिषद से बने नगर निगम से लोगों को कई उम्मीदें: क्या भीलवाड़ा भी जयपुर की तरह हो पाएगा साफ सुथरा
- सड़क और अण्डरब्रिज में जल भराव से मिलेगी मुक्ति ?
- गौवंश विहीन होगी सड़कें ?
- हट पाएगा शहर से अतिक्रमण ?
भीलवाड़ा (राजकुमार माली)। नगर परिषद नगर निगम बन गई और लोगों को उम्मीद है कि अब जन समस्याओं का त्वरित गति से निपटारा होगा। शहर की सड़कें सुधरेगी, बेढंग से बनने वाली सड़कें अब नियमों के तहत खुदाई करके बनाई जाएगी ताकि जल भराव की समस्या से मुक्ति मिल सके और घरों में पानी आना बन्द हो सके। शहर के आवाजाही के रास्तों में आने वाले अण्डरब्रिजों में भरे पानी से मुक्ति मिल सके। ऐसी ही कई समस्याओं के समाधान की लोगों को उम्मीद है।
नगर परिषद को सरकार ने क्रमोन्नत कर सोमवार को नगर निगम में बदल दिया। इसी के साथ लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गई है। जादुई चिराग की तरह सड़कों पर पसरने वाले अतिक्रमण से लोग मुक्ति चाहते है। सुरेश सोनी ने बताया कि जयपुर की तरह यहां भी चौड़ी सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त करा अब निगम लोगों को आवाजाही के लिए सुलभ रास्ते मुहैया करा पाएगा। वर्तमान में तो तीस फीट हो या साठ फीट हर सड़क अतिक्रमण की गिरफ्त में है। बरामदे तो क्या फुटपाथ और फुटपाथ ही क्या सड़क पर दस फीट तक अतिक्रमणकारी काबिज है। न कोई देखने वाला है और न कोई सुनने वाला। इंदिरा मार्केट की चौड़ी सड़कों से आसानी से कोई दुपहिया वाहन भी नहीं गुजर सकता है। मशीनरी मार्केट की सड़कें भी दिन प्रतिदिन सिकुड़ती जा रही है। राहगीर मोहनलाल ने कहा कि इस मार्ग के बरामदे गायब हो गए है और अब अतिक्रमण सड़क पर पसरने लगा है। इसी मार्ग से आजाद चौक की ओर जाने वाले चौक के कॉर्नर पर एक थड़ी कारोबारी ने इतना अतिक्रमण किया हुआ है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन अब तक नगर परिषद इस ओर मूकदर्शक ही बनी रही। ऐसा ही एक कॉर्नर वीर सावरकर चौक से कलेक्ट्री की ओर आने वाले मार्ग का भी है। यहां भी दुकानदारों ने सड़क पर काफी पसेरा किया हुआ है। हरिशेवा धाम मार्ग पर धर्मशाला की दुकानों द्वारा किया गया अतिक्रमण किसी को नजर नहीं आता है। एक तरफ दुकानदार तो दूसरी तरफ फुटपाथ पर थडिय़ां लग गई है जबकि यह मार्ग काफी व्यस्ततम मार्ग है।
सड़कों पर अब नई परम्परा यह भी चल पड़ी है कि जहां जगह मिली वहां बैनर और होर्डिंग्स लगा दिए जाते है। कई होर्डिंग्स तो ऐसे भी लगाए जा रहे है जिससे सड़कें भी छोटी हो गई है और जाम की स्थिति बन गई है। एक आध दिन की बात हो ठीक लेकिन हप्ताह पन्द्रह दिन के लिए इस तरह के होर्डिंग्स लगाए जाने लगे है। पुर की ओर से आ रहे सोहनलाल गुर्जर ने कहा कि यह हादसों का कारण बन रहे है। ऐसे होर्डिंग्स पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
नगर निगम बनने के बाद उम्मीद कई है, टूटी सड़कों को लेकर भी लोगों ने अब उम्मीदें जताई है कि उनमें सुधार होगा। गंगापुर तिराहा हो, रेलवे फाटक हो या फिर नागौरी गार्डन तिराहा हर जगह टूटी सड़कें लोगों को दर्द दे रही है। सम्पत गुर्जर ने बताया कि इन टूटी सड़कों से लोगों की हड्डियां भी टूट रही है और अस्पताल वालों को अच्छी कमाई हो रही है। हड्डी के चिकित्सक भी कहते है कि उबड़ खाबड़ सड़कें लोगों को दर्द रही है।
मामूली बरसात में ही शहर की कई सड़कों पर एक से दो फीट तक पानी भर जाता है। रामधाम मार्ग और इन सब का आईना जिला कलेक्टर का प्रवेश द्वार भी दिखाता है जहां भी अधिकारियों की गाडिय़ां पानी को उछलाते हुए देखा जा सकता है। यही हालात ओवरब्रिज के मुहाने के भी है। कलेक्ट्री के निकट हाल ही में टाइलें तो लगाई गई लेकिन पानी निकासी के कोई प्रबंध नहीं किए है। नालियां न पार्क की ओर नजर आती है और न ही कलेक्ट्री की ओर। ऐसे ही हालात नगर निगम क्षेत्र के भी है। वहां भी नालियों का मिलना दुर्लभ ही है।
सफाई की हालत तो किसी भी छिपी हुई नहीं है। कई जगह नगर परिषद (अब नगर निगम) के कर्मचारियों ने अस्थाई डपिंग यार्ड बना दिए गए है। शहर की सुंदरता पर कालिख पोता चित्तौड़ रोड सर्विस लेन नजर आता है। सर्विस लेन न होकर कचरा लेन बन गया है। पांसल रोड पर द्वारिका कॉलोनी का 60 फिट रोड पूरी तरह से कचरा घर बन चुका है। यहां आस पास रहने वाले लोग बदबू और गंदगी से परेशान है। यही हालात कुवाड़ा क्षेत्र के भी जहां डपिंग यार्ड से कचरा सांगानेर भेजना होता है लेकिन कचरा खदानों में धकेला जा रहा है, सड़कों पर डाला जा रहा है। इसकी शिकायतें भी कई बार हुई है लेकिन ......
शहर की सड़कों पर कोई गौवंश नजर नही आएगा और इस काम के लिए गौशाला को जमीन और लाखों रूपए परिषद दे रही थी लेकिन हालात किसी से छिपे हुए नहीं है। शहर के आला अधिकारियों के कार्यालयों का रास्ता हो या भीड़भाड वाले बाजार, कहीं भी ऐसी जगह नहीं है जहां गौवंश सड़क पर नजर नहीं आता हो। सड़क पर गौवंश के चलते रोजाना हादसे हो रहे है और लोग अकाल मौत के शिकार हो चुके है। पूर्व में ऐसा ही गौवंश के चलते नगर परिषद के चेयरमेन भगवतीलाल बहेडिय़ा का भी निधन हो गया था लेकिन तब हाय तौबा मची कि गौवंश सड़क पर नजर नहीं आएगा परन्तु हल ढाक के तीन पात की तरह कुछ नहीं निकला। नगर परिषद के इर्द गिर्द ही ऐसे ही हालात है। पुर रोड हो या सांगानेर रोड हाइवे मार्ग भी पर भी गौवंश अपनी छाप छोड़ते हुए नजर आते है।
शहर में जलभराव के हालात ऐसे ही पैदा नहीं हुए है। इससे पैदा किया गया है और वह भी नगर परिषद और नगर विकास न्यास की ही देन है। शहर के मुख्य बाजार हो या बाहरी सड़कें। हर सड़क बनाने के लिए नियमों को ताक में रख दिया गया। पहले सड़कों की खुदाई कर पहले वाले लेवल पर ही नई सड़क बनाई जाती थी लेकिन कुछ सालों से स्वार्थवश सड़कों पर परत दर परत डामर चढाकर हालात ऐसे पैदा कर दिए कि मामूली बरसात में पानी सड़कों पर ही नहीं भरता बल्कि घरों और दुकानों में घुसने लगा है। मुरली विलास रोड पर कांग्रेस नेता अक्षय त्रिपाठी की दुकानों में जाने के लिए एक से दो सीढियां चढनी पड़ती थी लेकिन अब सीढियां गायब हो गई है और दुकानें सड़क से नीची हो गई है। ऐसे ही हालात पांसल रोड के भी है जहां मकानों के बाहर तीन-तीन सीढियां हुआ करती थी लेकिन आज तीनों सीढियां गायब है और मकान सड़क से नीचे हो गए है। जानकार का कहना है कि शहर में जल भराव के लिए जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि स्वायत्ताशाषी संस्थाएं ही है। अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में लोगों की मुश्किलें बढेगी। पानी दुकानों और घरों में मामूली बरसात में ही घुसेगा। पूर्व में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव धीरज गुर्जर ने भी इस मुद्दे को उठाया था। लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अगर अब भी ध्यान नहीं दिया जाता तो फिर हालात बिगड़ेंगे।
रेलवे लाईन से इधर उधर जाने के लिए शहर में कई जगह अण्डरब्रिज तो बना दिए गए लेकिन एक दो को छोड़कर बाकी के हालात खराब है। समेलिया फाटक, चन्द्रशेखर आजादनगर, विशाल मेगा मार्ट, जोधड़ास मार्ग, गायत्री आश्रम आदि अण्डरब्रिजों में पानी भरा रहता है और कुछ तो बिलकुल ही सड़क विहीन है। ऐसे में दुर्घटनाओं की आशंका भी बनी रहती है।
अब निगम बना है तो इन जन समस्याओं के लिए समाधान के लिए उम्मीदें लगाए बैठे है। इसके अलावा मकान और भूखण्डों के पट्टों, अवैध कब्जों और अवैध निर्माणों पर रोक के काम भी पुख्ता होंगे ऐसी भी लोगों की उम्मीद है। सभापति से महापौर बने राकेश पाठक ने विकास की बात तो कही है लेकिन जन समस्याओं को दूर करने के साथ ही यातायात को व्यवस्थित करने के लिए शहर के चौराहों, तिराहों पर लगी संकेत लाईटें भी रोशन हो पाएगी या फिर वही दो दिन की रोशनी ...