जुम्मे की नमाज के बाद परचम कुशाई की रस्म अदा की

जुम्मे की नमाज के बाद परचम कुशाई की रस्म अदा की
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भीलवाड़ा। “वह हर आलम की रहमत हैं किसी आलम में रह जाते यह उनकी मेहरबानी है कि यह आलम पसंद आया। इस अशआर के साथ इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आमद की खुशी में मस्जिद-ए-नीलगरान बाहला परिसर के बाहर काजी-ए-शहर मुफ्ती अशरफ जिलानी अजहरी की सदारत व आशिकाने रसुल की मौजूदगी में जुम्मे की नमाज के बाद परचम कुशाई की रस्म अदा की गई। सलातो-सलाम पढ़ा गया और रूहानी दुआओं का एहतेमाम किया गया। इस दौरान नारा ए तकबीर अल्लाह हू अकबर और नारे रिसालत या रसूल अल्लाह की सदा से बाहला चौक गूंज उठा। शरई शहादत के मुताबिक़, भीलवाड़ा स्थित गुलमंडी में 14 और 15 सितम्बर को जश्ने ईद मीलादुन्नबी का जलसा मुनक़िद होगा, जबकि 16 सितम्बर 2024 को जुलूसे मोहम्मदी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम बडी मुहब्बत के साथ निकाला जाएंगा।

पूरे आलम के लिए रहमत बनकर आए पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब - काजी-ए-शहर

काजी-ए-शहर मुफ्ती अशरफ जिलानी अजहरी जुम्मे की नमाज से पहले अपनी तकरीर में बताया कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तमाम आलम के लिए रहमत बन कर आए। उनकी बेमिसाल दावत को अपनी जिंदगी में उतारकर सुन्नतों पर अमल करें। उन्होंने लोगों को सच्चे रास्ते पर चलने और एक ही अल्लाह की इबादत करने की हिदायत की। लोगों को उनका हक दिलाया। रंग और नस्ल का भेद मिटाया। मुफ्ती अशरफ जिलानी अजहरी ने कहा कि जब दुनिया में जहालत कायम थी और ईमान खत्म हो हो रहा था, उस वक्त अल्लाह ने रसूले पाक को दुनिया में भेजा। जिससे सारी दुनिया रौशन हो गई और एक ऐसा बदलाव आया जिससे आज तक दुनिया रौशन है और कयामत तक रहेगी। मुफ्ती अजहरी ने कहा कि रसूले पाक ने दुनिया में फैली बुराइयों को खत्म किया। उन्होंने दुनिया को इंसानियत की तालीम ए तरबियत व राहे हिदायत दिखाई।

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