जीव और ब्रह्म का मिलन है महारास

जीव और ब्रह्म का मिलन है महारास
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आकोला (रमेश चंद्र डाड) कस्बे में श्री देवनारायण मंदिर प्रांगण पर चल रही संगीत में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में आज भगवान श्री कृष्ण के बाल लीलाओं का वर्णन सुनाया गया पूतना वध प्रसंग में पंडित दुर्गेश चतुर्वेदी ने बताया अयोध्या का नाम पूतना है जिसका आवरण अति सुंदर बना हो पर आचरण बिगड़ा हो वह पूतना है जिसका आचरण अपवित्र है वह तो जहर ही देता है पर भगवान श्री कृष्णा ऐसे अपवित्र आचरण वाले को भी पवित्र कर देते हैं सकटासुर तृणावर्त

बका सुर अगासुरआदि रक्षसो के का वध कलियानाग लीला में बताया भक्ति की धारा यमुना जी को वासना रूपी सांप ने विषय रूपी विश से जहरीला कर रखा है अपनी इंद्रियों पर संयम करके विषयों से दूर रहे इसके बाद इंद्र के कोप से बचाने के लिए भगवान ने गोवर्धन पर्वत को धारण किया चीरहरण की लीला सुने फिर महारास

महारास के प्रसंग में पंडित श्री दुर्गेश चतुर्वेदी ने बताया यह जीव और ब्रह्म के मिलन की कथा है जीव जब ब्रह्म आकर वृती धारण करता है जीव ब्रह्म से मिलकर एक हो जाने का अर्थ है महारास

महारास क्रीडा कोई काम क्रीड़ा नहीं है इस लीला में श्री कृष्ण एवं कामदेव का युद्ध है काम रूपी विषय पर जिस जीव ने विजय प्राप्त कर ली उसे भगवान की परभक्ति प्राप्त होती है कथा प्रसंग के दौरान कई भजन गाए गए जिम बांसुरिया हरि की, मुरली बजाए नंदलाल राधिका गोरी से मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे आदि भजनों पर श्रोता मंत्र मुक्त होकर नाचने लगे आकोला ग्राम के बड़ी संख्या में महिला पुरुष एवं आसपास गांवो से सवाईपुर, चांदगढ़ ,बड़लियास, गेगा का खेड़ा आदि गांवो के गणमान्य लोग कथा में उपस्थित रहे कथा के आयोजक परिवार उपाध्याय परिवार की ओर से सभी श्रोताओं को आभार प्रकट किया गया

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