दीपावली कब मनाई जाएगी ?

दीपावली कब मनाई जाएगी ?
X

"दण्डैक रजनी योगे दर्शः स्यात्तु परेऽहवि. तदा विहाये पूर्वे द्युः परेऽहनि सुख्खरात्रिकाः" (निर्णय सिंधु)

इसका अर्थ है कि यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी हो, तो दूसरे दिन ही अमावस्या मानना शुभ होता है. यदि पहले दिन अमावस्या का पूजन किया जाता है, तो वह महादोष उत्पन्न करता है और पहले किए गए पुण्यों को नष्ट करता है.

"तत्र सूर्योदयं व्याप्यास्तोत्तरं घटिकादिक रात्रि व्यापिनी दर्शे न संदेहः" (धर्मसिंधु)

इसका अर्थ है कि यदि अमावस्या सूर्योदय में व्याप्त होकर रात में एक घटिका (लगभग 24 मिनट) से अधिक समय तक रहती है, तो उसमें कोई संदेह नहीं है और वह तिथि लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है. इस वर्ष, 1 नवंबर 2024 को अमावस्या सूर्योदय से लेकर रात तक प्रदोष काल में एक घटी से अधिक समय तक व्यापिनी रहेगी, जो इसे लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ बनाता है.

धर्मशास्त्रों के अनुसार, यदि अमावस्या की तिथि दो दिन प्रदोष व्यापिनी हो, तो लक्ष्मी पूजन दूसरे दिन ही किया जाना चाहिए. इसका कारण यह है कि दूसरे दिन की अमावस्या शुभ मानी जाती है, क्योंकि पितृ कार्य (जैसे अभ्यंग स्नान, देव पूजन और पार्वण कर्म) पहले संपन्न होते हैं और फिर लक्ष्मी पूजन किया जाता है. यदि पहले दिन दीपावली मनाई जाती है, तो यह क्रम उल्टा हो जाएगा, जो शास्त्रों के विपरीत है.

निर्णय सिंधु और धर्मसिंधु जैसे शास्त्रों में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि जब अमावस्या तिथि दो दिन प्रदोष काल में व्यापिनी हो, तो दूसरे दिन ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए. इसके अलावा, शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि अमावस्या का प्रतिपदा युता युग्म शुभ फलदायी होता है. इसलिए 1 नवंबर 2024 को अमावस्या सूर्योदय के बाद भी प्रदोष काल में एक घटी से अधिक समय के लिए व्यापिनी रहेगी. इस कारण से, शास्त्रों के अनुसार इसी दिन दीपावली मनाना सबसे शुभ और शास्त्रसम्मत होगा।

- प. कृष्ण कुमार शर्मा

Next Story