पिताश्री ब्रह्मा बाबा की 56 वी पुण्यतिथि मनाई

पिताश्री ब्रह्मा बाबा की 56 वी पुण्यतिथि मनाई
X

भीलवाड़ा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक पिता श्री ब्रह्मा बाबा की 56 भी पुण्यतिथि विजय सिंह पथिक नगर सेवा केंद्र के ओम शांति सभागार में विश्व शांति दिवस के रूप में मनाई गई। भीलवाड़ा शहर के आठ सेवा केदो के ढाई सौ साधकों ने मौन में रहकर राजयोग मेडिटेशन की साधना कर विश्व में शांति का दान दिया। ब्रह्माकुमारी इंदिरा बहन के द्वारा बाबा के शिक्षाओं भरी मुरली सुनाई गई व बाबा के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रह्मा बाबा एक प्रसिद्ध जवाहरी थे, कोलकाता में व्यापार करते थे किंतु 60 वर्ष की उम्र होने पर उनकी आध्यात्मिकता में रुचि जागृत हुई और इन्होंने अपना सारा व्यापार समेट लिया तथा अपने घर में सत्संग प्रारंभ किया। किंतु आज यह एक व्यापक वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका है जिसके सातों महाद्वीपों में 5000 से अधिक सेवा केंद्र कार्यरत है। ब्रह्मा बाबा की परख शक्ति बहुत तीव्र थी। वे मस्तिष्क देखकर व्यक्ति की जन्म पत्री बता दिया करते थे। वे त्याग और तपस्या की सजीव मूर्ति थे तथा प्रातकाल 2:30 बजे उठकर परमात्मा शिव की साधना किया करते थे । उन्होंने नारी को अध्यात्म ज्ञान की मशाल सौंपी और उन्हें शक्ति रूप बनाया। उन्होंने युवाओं के चरित्र निर्माण के लिए भी कार्य किये और निर्वयसनी चरित्रवान ब्रह्मचारी युवाओं की लंबी पंक्ति तैयार करी। बाबा की शिक्षा का उद्देश्य राजयोग की साधना से स्वपरिवर्तन के द्वारा विश्व में शांति एवं सद्भाव की स्थापना करना है। 18 जनवरी सन1969 में 93 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर उन्होंने देह का त्याग किया किन्तु इससे पहले उन्होंने संस्था की बागडोर दादी प्रकाशमणि जी को सोप दी थी |

ब्रह्माकुमारी तरुणा बहन ने कमेंट्री के द्वारा राजयोग मेडिटेशन में आत्मा के मूल स्वरुप का अभ्यास कराया। ब्रह्माकुमारी नीतू बहन ने राजयोग के अभ्यास के द्वारा अशांत व्यक्ति के मन को शांति प्रदान करने का अभ्यास कराया। ब्रह्माकुमारी इंदिरा दीदी ने राजयोग के द्वारा आत्मा के पांच स्वरूपों की स्मृति दिलाई। ब्रह्माकुमारी इंद्रा दीदी, तरुणा बहन, नीतू बहन, गीता बहन, कौशल बहन, डॉक्टर श्रोत्रिय, श्याम भाई, डॉ जाटव आदि के द्वारा ब्रह्मा बाबा को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रधान्जली दी गई। दोपहर को पथिक नगर सेवा केंद्र के गार्डन में ब्रह्माकुमारी इंदिरा दीदी ने वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका मोहिनी दीदी एवं संतोष दीदी के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके जीवन में जब भी कोई समस्या आती थी तो वह ब्रह्मा बाबा के जीवन के आधार से उसे हल किया करते थे। सभी साधकों ने शांति का गहन अनुभव किया। ग्रामीण अंचल काछोला, खजूरी, अमरगढ़, मांडल, गंगापुर, मांडलगढ़, गुरला, कारोई, पुर, हलेड के लोगों ने भी भाग लिया |

Next Story