दूधाधारी मंदिर में धूमधाम से मनाया अन्नकूट पर्व, गाय की पूजा कर लगाया भोग
भीलवाड़ा (संपत माली हलचल) सांगानेरी गेट स्थित दूधाधारी मंदिर में शनिवार सुबह विधि विधान से गोवर्धन पूजा की गई. व्यंजनो का भोग ठाकुर जी को लगाया गया. मंदिर प्रांगण में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज बनाए गए. बाद में अन्नकूट का भोग लगाया गया.मंदिर के पंडित कल्याण ने सभी को दीपावली के बधाई देते हो कहां की 500 साल बाद अयोध्या में फिर श्री राम अपने निज धाम में पधारे। उन्होंने कहा कि मान्यता है किद्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ मथुरा का राजा कंस ग्वालों पर अत्याचार करता था. दुखी होकर ग्वाल बाल श्रीकृष्ण से कहते थे ब्रज की रक्षा करने वाला कोई नहीं है क्या. इसके बाद कृष्ण और बलराम ने कंस का वध कर दिया. इसके बाद ब्रज में खुशहाली आ गई. तब से सभी ग्वाल बाल कहने लगे कि आज से हम सब लोग आपकी (श्रीकृष्ण) की पूजा करेंगें. इस बात से इंद्रदेव क्रोधित हो गए और पूरे ब्रज क्षेत्र में घनघोर बारिश करने लगे. सात दिनों तक बारिश के प्रकोप से ग्वाल बाल भयभीत हो गए. तब श्नीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कन्नी अंगली पर धारण कर सबकी रक्षा की. खुश होकर बृजवासियों ने कन्हैया को अनेक प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. दिवाली के दूसरे दिन अन्नकूट का भोग ठाकुर जी को लगाया जाता है.भbhi भी8गवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के घमंड को तोड़ा और अपने ग्वाल वालों की रक्षा की. पुष्टिमार्ग संप्रदाय के सभी मंदिरों में गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है. भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए सभी ग्वाल वालों ने अपने हाथों से अनेक प्रकार के व्यंजन तैयार करके भोग लगाया गया था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. जिसे अन्नकूट गोवर्धन पूजा कहा जाता है.