भीलवाड़ा में डेंंगू का प्रहार: रक्त वीर विक्रम दाधीच ने 107 वीं बार किया रक्तदान अन्य डोनर भी आए आगे,बचाई डेंगू पीड़ित की जान
भीलवाड़ा़। भीलवाड़ा में डेगूं का प्रहार बढता जा रहा है और मरीजों में प्लेटलेट्स कम होने से इसकी जरूरत बढ रही है जो पूरी नहीं हो पा रही है। ऐसे में मरीज के परिजनों को इधर उधर भटकना पड़ रहा है। भटकते मरीजों का सहारा विभिन्न संगठन बन रहे है वहीं रक्तवीर विक्रम दाधीच प्रतिदिन दर्जनों लोगों से रक्तदान करवा प्लेटलेट्स रूकवान में अहम भूमिका निभा रहे है । उन्होंने आज 107वीं बार डेंगूं पीड़ित के लिए रक्तदान किया है । उनके साथ एक दर्जन अन्य लोग भी रक्तदान कर पीड़ितों की मदद के लिए आगे आये है ।
बांगड़ अस्पताल में भर्ती एक मरीज की प्लेटलेट्स 10 हजार रह जाने के बाद कई लोग उसकी मदद के लिए आगे आए है । इनमें रक्तवीर विक्रम दाधीच ने मानव सेवा के लिए 107वीं बार रक्तदान किया है। दाधीच भीलवाड़ा में ही नहीं देश के किसी भी कोने में रक्त की उपलब्धता कराने के लिए पहचाने जाते है । उन्हीं के बुलावे पर पंकज तिवाड़ी, लोकेन्द्र सिंह ने भी आज रक्तदान किया जबकि खिलाड़ी शैलेन्द्र सिंह के अलावा भीमराज बैरवा, बबलू, सतीश ग्वाला ने भी रक्तदान किया है । भीलवाड़ा ब्लड बैंक में इन लोगों ने रक्तदान कर ए पोजिटिव प्लेटलेट्स उपलब्ध करा मानवता का परिचय दिया है । लेब के संचालक त्रिलोक वर्मा ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से डेगू पीड़ितों की संख्या बढने से प्लेटलेट्स की मांग बढ़ी़ है । हम प्रयास कर रहे है कि सभी को मांग के अनुरूप प्लेटलेट्स उपलब्ध हो सके ।
रामस्नेही ब्लड बैंक से भी प्रतिदिन 20 से 30 प्लेटलेट्स उपलब्ध कराये जा रहे है । डेगूं रोगियों के लिए जीवनदायक है । लेकिन इसकी उपलब्ध पर्याप्त नहीं हो पा रही है ।
भीलवाड़ा के सरकारी और निजी अस्पताल में प्रतिदिन डेंगू रोगियों के दर्जनों मरीज पहुंच रहे है । कई मरीज तो दो चार दिन बाद ठीक हो जाते है लेकिन कुछ मरीज लगातार प्लेटलेट्स गिरने से उनकी बीमारी कई दिनों बाद ठीक हो पाती है और उन्हें प्लेटलेट्स की आवश्यकता रहती है। एक जानकार ने बताया कि प्रतिदिन लगभग 50 प्लेटलेट्स मरीजों को लगाए जा रहे है और कुछ मरीजोंं को हालत गंभीर होने पर बाहर भेजे जा रहे है ।
डेंगू कैसे फैलता है
डेंगू बुखार प्रमुखतः ऐसे मच्छरों के काटने के माध्यम से प्रसारित होता है जो डेंगू वायरस को लेकर आते हैं, मुख्यतः एडीस एजिप्टी मच्छर।
वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश करता है और इसके मध्यगुटिका में वृद्धि करता है, और इसके बाद अन्य ऊतकों (tissues) में, साथ ही थूकने वाले ग्रंथियों में भी फैल जाता है।
इस प्रक्रिया को "एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड" (EIP) कहा जाता है, जिसमें वायरस को प्रसारणशील बनने में लगभग 8-12 दिन लगते हैं।
तापमान, वायरस के प्रकार और प्रारंभिक वायरल संघटन की धारावाहिकता जैसे एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड की अवधि पर प्रभाव डाल सकते हैं।
एक बार जब मच्छर संक्रामक हो जाता है, तो वह अपने पूरे जीवन के लिए वायरस को प्रसारित कर सकता है।
डेंगू बुखार के लक्षण
अचानक तेज बुखार (40°C/104°F)
गंभीर सिरदर्द (Headache)
जोड़ों और मांसपेशियों में गंभीर दर्द
आँखों के पीछे दर्द
सूजी हुई लिम्फ ग्रंथियां
जी मिचलाना
उल्टी करना
खुजली
थकान
आमतौर पर, मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति डेंगू बुखार से एक सप्ताह से 10 दिन के भीतर स्वस्थ हो जाते हैं। हालांकि, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए लक्षण (dengue ke lakshan in hindi) बिगड़ सकते हैं और जानलेवा भी हो सकते हैं। यह प्रगति गंभीर डेंगू, डेंगू हेमोरेजिक (Dengue Hemorrhagic Fever) बुखार या डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome) की ओर ले जा सकती है।
जब बुखार उतर जाता है, आमतौर पर एक से दो दिन बाद, तो अतिरिक्त लक्षण (additional dengue symptoms in hindi) सामने आ सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
मसूड़ों या नाक से खून आना
मल, पेशाब या उल्टी में खून की मौजूदगी
त्वचा के नीचे खून का बहाव, जो खरोंच के रूप में दिखाई दे सकता है
गंभीर पेट दर्द (Stomach Ache)
लगातार उल्टी होना
डीहाइड्रेशन (Dehydration)
सुस्ती या कन्फ़्यूज़न
ठंडे या चिपचिपे हाथ-पैर
तेजी से वजन कम होना
बेचैनी
थकान