नाहर नृत्य देखने मांडल में उमड़ा जन सैलाब: ऐसे आयोजन हमेशा होते रहना चाहिए ताकि हमारे समाज में सामाजिक समरसता बनी रहे बैरवा

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मांडल / सोनिया सागर, अंकुर

बुधवार को माण्डल कस्बे में माण्डल महोत्सव के रूप में 412 नाहर नृत्य के आयोजन लोगों का मन मोह लिया, लोगों के जन्म से लाभ को देख उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि ऐसे आयोजन हमेशा होते रहना चाहिए ताकि हमारे समाज में सामाजिक समरसता बनी रहे



उन्होंने कहा कि मांडल के जनसमूह को प्रणाम करता हुआ मैं वह बहुत धन्यवाद और बधाई देना चाहूंगा कि इस तरह का प्रोग्राम जो हमारी कला और संस्कृति को जिंदा रखने के लिए जो आप सब ने यहाँ आकर और एक सामाजिक समरसता का परिचय दिया है। इसके लिए मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा,



क्योंकि हमारी ऐसी लोग सांस्कृतिक कलाएं जो आप आज इस मंच के द्वारा और इसमें न कोई जाति, न कोई धर्म है न ही कोई राजनीतिक मंच है सभी को एक साथ में देखकर बहुत अच्छा लगा मैं उदय लाल भड़ाना को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा कि सब लोगों को एक जगह करके और इस तरह का प्रोग्राम करते हैं तो निश्चित रूप से हमेशा ये हर समय आपस में प्यार और बंधन बना रहेगा। यहीं मैं आपसे निवेदन करता हूँ आपने मुझे भी यहाँ बुलाकरन कोई पार्टी पॉलिटिक्स नहीं करके और सबको एक सम्मान से उससे ऊपर उठके एक जगह होकर एक सामाजिक समरसता का परिचय दिया है। ऐसा आयोजन हमेशा होता रहना चाहिए ताकि हमारे समाज में सामाजिक समरसता बनी रहे। सब में प्यार और सौहार्द बना रहे इसके लिए इस आयोजन के लिए में सभी कस्बा वासियों का आभारी हूं।




वही विधायक के समस्या समाधान एप्प का भी विमोचन किया गया ।

चार सौ ग्यारह साल पहले वर्ष 1614 में भीलवाड़ा जिले के मांडल गांव में मेवाड़ महाराणा अमर सिंह से संधि करने उदयपुर जाते समय मुग़ल बादशाह शाहजहां ने मांडल में पड़ाव किया था। उस दौरान उनके मनोरंजन के लिए शुरू किये गए नृत्य की विरासत को आज भी संभाले हुए है। यह नृत्य वर्ष में एक बार वह भी केवल राम और राज के सम्मुख ही होता है। कस्बे में ये दो स्थान पर आयोजित होता था लेकिन जगह कम पड़ने के कारण इसका आयोजन अब मांडल महोत्सव के रूप में किया जा रहा हैं।




वही उपखंड अधिकारी छोटू लाल शर्मा ने बताया कि राजस्थान की अतिथि देवों भवः भारतीय संस्कृति ओर धर्म को जिंदा रखने वाली इस नाहर नृत्य की परंपरा को पूरे भारत में प्रसिद्ध करने के उद्देश्य से मांडल महोत्सव के रूप में राजीव गांधी स्टेडियम में आयोजित किया गया।

राजस्थान लोक कला केंद्र के अध्यक्ष रमेश बूलिया ने बताया कि इस बार हम 412 नाहर नृत्य बुधवार की शाम को मनाया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा ने शिरकत की यह त्यौहार मांडल कस्बे के लिए दीपावली से भी बढ़कर त्यौहार है इस दिन हमारी बहन- बेटियां दामाद सहित रिस्तेदार माण्डल गांव आते हैं ओर यह भाईचारे के बहुत बड़ी मिसाल है । रंग तेरस के दिन बुधवार को माण्डल कस्बे वासी सुबह से ही रंग खेला जहा दिन मे बेगम और बादशाह की सवारी निकाली गई यह नृत्य केवल राम और राज के सामने ही होता है। नाहर बनाने के लिए कलाकारों पर रुई का चौला पहनाकर शेर के जैसे दो कानों पर सिंग लगाए जाते हैं। हर बार चार कलाकार नाहर बनते हैं प्रत्येक कलाकार को नाहर का स्वाग करने में 4 किलो रुई की आवश्यकता होती है। इस बार नाहर नृत्य के कार्यक्रम को माण्डल माहोत्सव के रूप में मनाया गया जहां माण्डल स्टेडियम में कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश की उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा सहित भीलवाड़ा जिले के जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, सामाजिक संगठन से जुड़े पदाधिकारीयो के साथ ही आमजन ने शिरकत की।


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