सरकारी स्कूलों में अब बिना दस्तावेज मिलेगा घुमंतू बच्चों को दाखिला, शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला

सरकारी स्कूलों में अब बिना दस्तावेज मिलेगा घुमंतू बच्चों को दाखिला, शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला
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भीलवाड़ा। शिक्षा विभाग ने अब सरकारी स्कूलों को फिर से गुलजार करने का एक नया तरीका खोज निकाला है। घटते नामांकन से परेशान घुमंतू, अर्ध-घुमंतू और विमुक्त समुदाय के बच्चों पर खास ध्यान दिया जाएगा। जी हां, आपने सही सुना! इन बच्चों को स्कूल में दाखिला लेने के लिए किसी भी तरह के कागजात की जरूरत नहीं होगी।

दरअसल, अभी तक इन समुदायों के कई बच्चे सिर्फ इसलिए शिक्षा से वंचित रह जाते थे क्योंकि उनके पास जन्म प्रमाण पत्र या आधार कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज नहीं होते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। शिक्षा विभाग ने एक विशेष प्रवेश अभियान शुरू करने का आदेश दिया है, जो इन बच्चों के लिए उम्मीद की एक नई किरण लेकर आया है।

प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने कहा है कि इन बच्चों को दाखिला देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। बस उनका "घुमंतू जाति पहचान पत्र" ही काफी होगा।

क्या होगा इस पहचान पत्र में ?

इस पहचान पत्र में बच्चे के माता-पिता का नाम, जिला, तहसील, गांव और उसकी जाति का उल्लेख होगा। यह पहचान पत्र सिर्फ सरकारी स्कूलों में दाखिले के समय ही मान्य होगा। समाज कल्याण विभाग की ओर से तय की गई जातियों को ही इस अभियान में शामिल किया जाएगा।

कैसे होगा ये सब ?

साल 2025-26 के प्रवेशोत्सव अभियान के दौरान इन बच्चों को ढूंढा जाएगा और उनकी उम्र के हिसाब से उन्हें आंगनबाड़ी या स्कूल में भेजा जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारियों को खास तौर पर कहा गया है कि वे अपने इलाके में सर्वे करें और ज्यादा से ज्यादा बच्चों का दाखिला कराएं।

एडीपीसी डॉ. रामेश्वर प्रसाद जीनगर ने बताया कि इस अभियान से न सिर्फ स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि इन बच्चों को सरकार की शिक्षा योजनाओं का भी फायदा मिलेगा। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ेगी और समाज में सबको साथ लेकर चलने की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा।

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